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सोमवार, 21 अक्तूबर 2024

बांटत रही गइ नेह -- कविवर राजबहोर पाठक मनोज जी सीधी

जबसे बड़कबा निनार भा ओखे मतारी कै आँखी फटी अस ही ---बघेली गजलों के राज क...

पढ़ी लिखी दुलहिन दादू दत्तनिपोर -- डॉ श्री निवास शुक्ल सरस जी

महतारी रिसिहाय दिहिस ता आसिरबाद मिला --- आचार्य रामसखा नामदेव शहडोल

तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है ----सबीना अदीव -कानपूर

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2024

वा ता निकहा बीज रहा।

 वा ता  निकहा  बीज रहा। 
देस  प्रेम  मा  भीज  रहा।। 

चुइगा जलेबी का रस सगला 
अब   हाथे  का  मीज  रहा। । 

भीड़ छटी  ता जाने पायन 
मंदिर  नहीं  टाकीज  रहा।। 

बस्ती  बस्ती  भटकैं  बांदर   
अँकड़ा के नहीं तमीच रहा।।  

कहैं  उतारन काही  आड़र
उनखर  हिदय  पसीज  रहा। ।  

हंस के पेटे  मुसबा  लोटय 
पीठ मा आखा  तीज रहा। ।  
हेमराज हंस 

सोमवार, 14 अक्तूबर 2024

अब तो भइया जी अती होइगै।

अब तो भइया जी अती होइगै।
समाज कै दुरगती होइगै।।
उनखे गाड़ी मा लगिगा हूटर
जब ओहदा मा श्री मती होइगै।।
होत होई काहू का फायदा
पै अपने देस के छती होइगै।।
वा ता भेजे रहा पढ़य खातिर
पै समाज मा नककटी होइगै। ।
भले भिरुहाये मा भसम भें मदन
पै विधबा तो बिचारी रती होइगै।।
भाईचारा के विश्वविद्यालय मा हंस
कुलटा राजनीत कुलपती होइगै।।
हेमराज हंस --

शनिवार, 12 अक्तूबर 2024

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024

कवि सम्मलेन REWA 09.10.2024

 

शिव दुर्गा मंदिर समिति अनंतपुर रीवा मप्र के तत्वावधान में श्री दुर्गोत्सव के पावन प्रसंग में विशिष्ठ  कवि सम्मलेन का सह भागी होने का अवसर प्राप्त हुआ। जिसमे देश के ख्याति लब्ध विद्वान मनीषीसुधि  श्रोताओ के समक्ष वाणी पवित्र करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सर्व श्री रामसिया शर्मा जी, श्री दुर्गा प्रसाद चतुर्वेदी जी ,श्री  RP तिवारी जी , राष्ट्रिय कवि व्यंग्यकार रविशंकर चतुर्वेदी जी , श्री मति विमलेश जी सुश्री स्नेहा त्रिपाठी खनक जी डॉ रामसरोज शांतिदूत जी भृगुनाथ पांडेय भ्रमर जी हेमराज हंस भेड़ा। गरिमामयी संचालन आदरेय भ्रमर जी ने किया। संस्था के सम्माननीय सदस्यों का सादर आभार। कार्यक्रम में श्री सेवा राम त्रिपाठी जी जैसेशिक्षा विद  विद्वान की उपस्थिति से सुवासित होता रहा। श्री दुर्गा प्रसाद चतुर्वेदी जी का काव्यपाठ  न सुनपाने का मन में मलाल और अपराध बोध है। 

प्रणाम -- रीवा  धन्यवाद --- रीवा आभार रीवा 

 

सोमवार, 7 अक्तूबर 2024

मंचीय मुक्तक

मुक्तक खंड 
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फलाने कै भंइसी निकहा पल्‍हाथी।
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पढ़इया स्‍कूल छूरा लइके अउथें।
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हम जेही मांन्‍यान कि बहुतै बिजार है।
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चेतना के देंह का उंइ झुन्‍न न करै।
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पियासा परा हम, हेन नल क देख्‍यान।
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काल्‍ह बतामैं गंगा भट्‌ट।
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शांती क पाठ लड.इया से पूंछत्‍या है ।
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बलफ फियुज होइगा झालर पकड.के।
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नल तरंग बजाउथें,बजबइया झांझ के।
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हमरेव गाँव मा  हरिहश्चंद हें 
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उनक कइ सरद अस पुनू 
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अब सेतै लागै माँख राम दै। 
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भइस अबै बिआन नही,उंइ सोठ खरीदाथें।
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घिनहौ क नागा नही कही,येही बड़प्‍पन मान कहा ।
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उइ बड़े प्रगति सील हें तउ डाइन हेराथें 
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समाज मा दहेज कै जबर दुकान होथी। 
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पुलिस जाना थी जेब कतरा आय। 
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हम फुर कहीथे ता कान उनखर बहा थै 
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उबर खाबर अस चरित्त का सभ्भ नीक 
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जनता देख रही ही नाटक राज नित के खादी का 
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हम उनही दिल दइ  दीन्हन अब गुर्दा मांगा थें। 
अस्पताल   से   हरबी   छुट्टी      मुर्दा मांगा थें।। 
जे बिचार से हें बीमार औ जनता के नजरन से गिरे  
उइ जादू टोना झरबामै  का उर्दा मांगा थें। । 
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हम घिनहव का नागा नहीं कही येही बड़प्पन 
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उइ बड़े अहिंसा बादी हें  पै रहा थें नींद मा। 
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काहू का पिसान से , काहू का चोकर से चला थै। 
काहू का एक्का से ता काहू  का जोकर से चला थै। । 
वा  महतारी केहाथ कै रोटी भला का जानै ------
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हाथे माही थामें माउस ----
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चला फलाने दारू बेंची-------
 नदिया खोदी बारू बेंची। 
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चमचागीरी जेखे कलम कूंची माँ नहीं। 
वाखर नाम अपना के सूची म नहीं। 
देस कै जनता जनाथी नीक के 
जउन मेंछा माहि शान वा पूँछी मा नहीं। । 
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हमरे ईमानदारी का रकबा रोज घटाथै। 
सुन के समाचार करेजा फटा थै। । 
जब उनसे पुछयन ता कहा थें फलाने 
चरित्र का प्रमाणपत्र थाने मा बटा थै। । 
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शुक्राचार घुसे तुम्मी मा। 
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तुहूं अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या। 
देस के नोन पानी से गद्दारी देख ल्या। । 
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चुड़इलिन के भाव अबै निक के ठण्डन नहीं 
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खादी से कहाँ चूक भै  या चरखा बताउथें। 
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जब से मुड़े मा  कउआ बइठ है।  
कुसगुन लये बउआ बइठ है। । 
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आसव बादर खूब दहाड़ें। 
उछली पोखरी नरबा बाढ़ें। । 
---------------34----------------------------
सिंघासन बाले बोरिया लये बइठ हें। 
कजहा नहीं आयें पै घोड़िया लये बैठ हें। । 
जेही रात के सपन मा जूजू देखा थै 
उइ बामी ठइ  दूध कै खोरिया लये  बइठ हें। । 
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हथौड़ा चला गा संसी चली गै। 
मछरी के लोभ मा  बंसी चली गै। । 
जब से जेपी औ लोहिया गें देस से 
हमरे बिपच्छ कै बड़मंसी चली गै। । 
-------------36----------------------------------
उइ जेहि अजनास कहा थें हमरे खातिर पोहगर है। 
भइया परदनिया बाला अपने रिबाज का मोहगर है। । 
उइ चाटैं महिपर लगाय के घिनहे भाव बिदेसिन के 
हमही अपने देस कै माटी सबसे निकही छोह्गार है। । 
--------------37--------------------------------------------------------
अबहूँ कउनव सक है हमरे सेंस मा। 
उइ दारू बेचा थें दूध के लाइसेंस मा। । 
जब उन्ही रोक के तलासी लीन गै 
ता कोरेक्स के सीसी मिली एम्बुलेंस मा। । 
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डीजे हमरे लोक पर्ब कै बसनी छोरा थें। 
जैसे कुपंथी हमरे गर्व कै कछनी छोरा थें।। 
जब अलमारी बक्सा पंहुचा हमरे गाँव मा 
दादू पुरखन कै बाँधी अरगसनी छोरा थें।। 
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बुधवार, 2 अक्तूबर 2024

 य  विपत  के  घरी  मा  तुमहूं  भजामैं  आ  गया। 

तलवार फरगत के जघा  पायल मजामै आ गया। । 

जा के चित्रकूट  आपन  जाँच  कराबा   नीक  के 

फूली  परी आँख मा  काजर अजामैं आ गया।।  

 गीत ३ तरह के होते है। सुर के, असुर के, ससुर के