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शनिवार, 9 दिसंबर 2023

भइलो चलें देखामय भाटा।।

जब जर माही परिगा माठा। 
भइलो चलें देखामय भाटा।। 
एक कई खुब चहल पहल ही 
एक  कई  पसरा  सन्नाटा। ।  

मंगलवार, 29 अगस्त 2023

जइसा गदिया गोर

 मन मेहदी अस जब रचा आँखिन काजर कोर ।
सामर सामर हाथ मा जइसा गदिया गोर।।

खजुलइया लइके मिला जब बचपन का प्रेम।
आँखिन से झांके लगा समय चित्र का फ्रेम। ।

साहब सलाम औ पैलगी गूंजै राम जोहर।
अबहूँ अपने गाँव मा बचा हबै बेउहार। ।

भाई चारा प्रेम का खजुलइयां तिउहार।
बढ़ै अपनपौ देश मा मेल-जोल बेउहार। ।

 साहब सलामऔ पइलगी, गूंजै राम जोहर। 

अबहूँ अपने  गाँव मा,  बचा  हबै   बेउहार। ।


गदिअय खजुलइया धरे, कजरी गाबै पर्व। 

अपने  तिथ  तिउहार  का, गाँव समेटे गर्व। ।


खजुलइयां लइके मिला, हमरे गांव का नेम। 

द्यखतै जिव हरिआय गा,  परिपाटी का प्रेम।। 


शनिवार, 10 जून 2023

उमिर भै अस्सी पार तउ, रोगी हमैं बिचार।

 मनो  रोग  के  बैद से, कर  बाई    उपचार ।
उमिर भै अस्सी पार तउ, रोगी हमैं बिचार।। 
कर  बाई   उपचार, दृष्टि मा दोख है दददा।  
चीकन चांदन राह, लगै अपना का खडडा।। 
बलिहारी या समय का कइसा हबय कुजोग। 
जे हमार सम्माननीय ,ग्रस्त हें  मन के रोग। । 

 

शनिवार, 20 मई 2023


 20 मई हमारी कीर्ति बिटिया और पहुना इंजीनियर  सुमित तिवारी जी सुपुत्र  श्रीयुत ब्रम्हदत्त तिवारी जू   के शुभ परिणय की बर्ष गांठ है। 

उनके सुखमय  दाम्पत्य जीवन की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाये 
 

शनिवार, 29 अप्रैल 2023

लगथै उनखर उतरिगा जादू।

 लगथै  उनखर उतरिगा  जादू।
हेरा  आन  गुनिया  अब   दादू।।

कब तक सूख   पेड़ का द्याहा  
पुन  पुन पानी  पुन  पुन खादू।।

बजरंगी का  कब तक छलिहै
कालनेम   बन  ज्ञानी  साधू ।।

एक न मानिस हिरना कश्यप
खुब समझा के हार कयाधू।।

हेन जन जन के कंठहार हें 
ओछी जात के आल्हा धांधू।। 


गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

गदहा का कहिहैं बाप। आसव चुनाव है।

मुलुर मुलुर बस देखा आप। आसव चुनाव है। 
देखा बनत  धजी का सांप।। आसव चुनाव है।
जे  किहे  नमस्ते   तक मा  कबहूं  नहीं  नेहरैं   
गदहा  का  कहिहैं   बाप।।   आसव  चुनाव है।
     हेमराज हंस===== 9575287490 



 

काव्य संध्या एवं सम्मान समारोह मैहर KAVI LAHARI JI MAIHAR

    गीतर्षि पं. रामनरेश तिवारी जी के 74 वें जन्मदिवस के अवसर पर साहित्यकार सम्मान समिति मैहर द्वारा आयोजित काव्य संध्या एवं सम्मान समारोह सरस्वती शिशु मंदिर मैहर में सायं 7 वजे से मुख्य अतिथि श्री मान नारेन्द्र सिंह बघेल जी अध्यक्षता श्री मान जी.पी.चौरसिया जी, विशिष्ट अतिथि श्री रविनंन्दन मिश्रा जी,राजलालन मिश्रा जी,श्री सुदामा शरद जी,कवि श्री रविप्रकाश चतुर्वेदी जी,सतेन्द्र पांडेय जी,रामेश्वर प्रसाद तिवारी जी,ठाकुर प्रसाद कुशवाहा जी,कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि आशीष त्रिपाठी जी,अशोक तिवारी  व मैहर सतना से आये साहित्यकार व श्रुधि श्रोतागण उपस्थित रहे! गुरुजी के सुखद एवं दीर्घायु जीवन की उपस्थित सभी जनो ने कामना की है🙏

रविवार, 26 मार्च 2023

गाँव -गाँव बोबा जबा पंडा दे थें हूम।

गाँव  -गाँव   बोबा  जबा  पंडा  दे थें हूम।
लोक धरम कै देस  मा चारिव कईती धूम। ।

बाना  खप्पड़  कालका  जबा  देवारे हांक।
बिन प्रचार के चल रही लोक धर्म कै धाक। ।  


आठैं   अठमाइन   चढ़ै  खेर  खूंट  का   भोग।
जलसा का कलसा धरे ''राम जनम का जोग ''। ।

नौ रात्रि

सोमवार, 20 मार्च 2023

बम चकाचक होरी है।
रंगन मा दहबोरी है।।
नस्सा माही लस्सा ले थी
शहर गाँव हर खोरी है।।

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

औ कोऊ आंसू ढारत अउलाद का तरसा थै।।

 राजनीत चढाथी जब जब पाप मा।
तब नेतागीरी  सेराथी सिताप मा।।
तुलसी के मानस कै सदा होई आरती
पै उइ  न हेरे मिलिहैं  कउनौ़ किताप मा।


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 कोउ  दहिना  कोउ    बइता   हेरा   थें।
चचरी   मचामै    का   रइता    हेरा थें। ।
उनखर   सोच  बड़ी   प्रगत  शील   ही
धानमिल के जुग मा कोनइता हेरा थें। ।   
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किसान बिचारा   खाद     का    तरसा   थै।
निर्बल  बपुरा  फरिआद    का   तरसा थै।।  
कोऊ जीबन  काटा रहा है  बृद्धाआश्रम मा
औ कोऊ आंसू ढारत  अउलाद का तरसा थै।।
 

हम समाज के मिल्लस कै आसा  करी  थे।
ता अपना हमरे ऊपर इस्तगांसा  करी थे।।
बहुरुपियव लजाय जाय अपना का देख के
निकहा नाटक नेरुआ  औ  तमासा करी थे। ।  
 
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 तसला ता मिला खूब तसल्ली नहीं मिली।
हमरे खिआन पनही का तल्ली नहीं मिली।।
 
कउड़ा ताप    ताप   के   गुजारी   रात   हम  
जाड़े मा कबौं ओड़य का पल्ली नहीं मिली। ।
 
रक्छा  के   इंतजाम   केर   दाबा   बहुत    हें
घर से जो निकरी बपुरी ता लल्ली नहीं मिली। ।
 
वा  नामी  धन्ना  सेठ    है  धरमात्मा   बहुत
पै दुआरे मा गरीब का  रुपल्ली नहीं मिली।।
 
रिकॉड  मा गुदाम लबालब्ब भरी  हय हंस
जब जांच भै त एकठे छल्ली नहीं मिली।।
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आहट  पाके प्यास की गढ़ता घड़ा कुम्हार
तृष्णा को तृप्ती मिले शीतल जल की धार
गढ़ते  गढ़ते गढ़ गया जीवन का सोपान
समय चाक पर चल रहा  माटी का दिनमान
पानी जब बिकने लगा बोतल पाउच बंद
प्यासे को मिलता नही मटके सा आनंद
प्यास बुझाने के घड़े गढ़े जो माटी पूत
आंसू पीकर जी रहा बन कर एक अछूत
हेमराज हंस


खेत बिका कोलिया गहन  बिकिगा झुमका टाप।
पट्टीदार   बिदुराथें   सिसकै  बिटिअय   बाप।


लेखन जब करने लगा कागद लहूलुहान।
ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान।।

श्री शिवशंकर सरस जी

  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...