बघेली कविता
बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार।कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। ।
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून।
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। ।
न्याय मांगे मा काल्ह मारे गें दत्ता नियोगी रघुआ।
हम मजूर ---------------------------------
भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला।
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। ।
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान।
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। ।
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ।
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। ।
हेमराज हंस ----------9575287490 bagheli sahitya