यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 11 जनवरी 2025

गदहा परेसान है गइया के प्रतिष्ठा मा । ।

पसीना का ठगि  के वा  बइठ हबै  भिट्ठा मा। 
कइउ  ठे लजुरी   खिआनी   है   घिट्टा  मा । । 
सेंतय   का   जरा   बरा   जाथै   कमेसुर वा 
गदहा  परेसान  है  गइया  के  प्रतिष्ठा   मा । ।
 
हमरे   नुकसान  केर  डाँड़  बांकी  है। 
दुस्ट औ कृतघ्न कै दुइ फांड़ बांकी है।। 
जोकर उपाय  कइ  सब  हीच चुके हैं 
फलाने कहि रहें हें की भाँड़ बांकी है। ।

 हमी  रूप  से का  मतलब, हम ता आंखर मा रीझे हन। 
बानी के मंत्र लिखे कागद, हम मस मा खूब पसीझे हन।।
तुम प्रेम पिआसी पिंगला ता , हम उदासीन भरथरी हयन 
तुम्ही  शुभ  होय  तुम्हार  प्रेम, हम ता आंसू मा भींजे हन।। 

उइ   जेही  छूइ   देथें  वा  सोन  बन जाथै । 
खारा   पानी   जम   के  नोन    बन  जाथै ।।   
जादा   ना  सताबा   कउनव    गरीब   का
अपमान पी के एक दिन वा द्रोन बन जाथै ।। 
   
वा  एक   पुड़िया   कुरकुरा   मा  रगाय  गा।
पै  रोय  के सबका   नींद   से   जगाय   गा ।।
उनही   पुटिआमै   का  अउराथै    नीक  के 
घुनघुना  धराय के अउंटा पिअय सिखाय गा।।

गुरतुर का गुरतुर सखार का सखार कहा।
सांझ का सांझ सकार का सकार कहा।। 
 भले केत्तव  सजाबा  बनउक  बिझूका 
तोखार  न  बनी  वोही  धोखार   कहा। । 

या  ता अहरी आय  बखरी  कहूं  अउर  ही। 
मन तउलय के निता तखरी कहूं अउर ही। 
अब ता  कायलिव रचाये ओंठ   बागा थी 
प्रेम  काहू से  ता  पैपखरी  कहूं  अउर  ही।। 

बुधवार, 23 अक्टूबर 2024

मैहर की इक शान थे विजयनारायण राय।

 

मैहर की इक शान थे विजयनारायण राय। 

जीवन में जाना नहीं अपना और पराय।। 


चाह सियासी मंच हो या साहित्य सोपान। 

अब तक मैहर ढ़ूढ़ता उन जैसा प्रतिमान।। 


है कृतज्ञ जिनका यहां पावन मैहर धाम। 

काल खण्ड में अमर है उनका सादर नाम।। 


जन नायक होते नही किसी जाति मे कैद।

वे बीमार समाज के हैं शुभ चिंतक वैद।। 

                    हेमराज हंस भेड़ा

सोमवार, 21 अक्टूबर 2024

बांटत रही गइ नेह -- कविवर राजबहोर पाठक मनोज जी सीधी

जबसे बड़कबा निनार भा ओखे मतारी कै आँखी फटी अस ही ---बघेली गजलों के राज क...

पढ़ी लिखी दुलहिन दादू दत्तनिपोर -- डॉ श्री निवास शुक्ल सरस जी

महतारी रिसिहाय दिहिस ता आसिरबाद मिला --- आचार्य रामसखा नामदेव शहडोल

तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है ----सबीना अदीव -कानपूर

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024

वा ता निकहा बीज रहा।

 वा ता  निकहा  बीज रहा। 
देस  प्रेम  मा  भीज  रहा।। 

चुइगा जलेबी का रस सगला 
अब   हाथे  का  मीज  रहा। । 

भीड़ छटी  ता जाने पायन 
मंदिर  नहीं  टाकीज  रहा।। 

बस्ती  बस्ती  भटकैं  बांदर   
अँकड़ा के नहीं तमीच रहा।।  

कहैं  उतारन काही  आड़र
उनखर  हिदय  पसीज  रहा। ।  

हंस के पेटे  मुसबा  लोटय 
पीठ मा आखा  तीज रहा। ।  
हेमराज हंस 

सोमवार, 14 अक्टूबर 2024

अब तो भइया जी अती होइगै।

अब तो भइया जी अती होइगै।
समाज कै दुरगती होइगै।।
उनखे गाड़ी मा लगिगा हूटर
जब ओहदा मा श्री मती होइगै।।
होत होई काहू का फायदा
पै अपने देस के छती होइगै।।
वा ता भेजे रहा पढ़य खातिर
पै समाज मा नककटी होइगै। ।
भले भिरुहाये मा भसम भें मदन
पै विधबा तो बिचारी रती होइगै।।
भाईचारा के विश्वविद्यालय मा हंस
कुलटा राजनीत कुलपती होइगै।।
हेमराज हंस --

शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...