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मंगलवार, 17 मार्च 2015

हाय !!दइव !या का किहा कहि के गिरा किसान। ।

दोहा 

पाथर  परिगा   फसल मा   अब  भा मरे बिहान। 
हाय !!दइव !या का किहा कहि के गिरा किसान। ।

करहा  आमा  नीझरि  गा  ठूठ  ठाढ़  मउहार। 
चौपट होइ गै फसल सब अइसा मारिस वार। ।   

टप टप अँसुआ बहि रहें खेतिहर परा सिकिस्त। 
खाद बीज का ऋण चढ़ा औ टेक्टर कै क़िस्त। । 


हेमराज 

रविवार, 15 मार्च 2015

गुरुवार, 12 मार्च 2015

बघेली क्षणिका

 बघेली क्षणिका 

सत्ता साहित्य से सब दिन  अकड़ा रहा है। 
एहिन से  उनखर  छत्तीस का आकड़ा रहा है.। । 

हेमराज  


बड़े ललत्ता हया फलाने।

मुक्तक 

बड़े ललत्ता हया फलाने। 
तास के पत्ता हया फलाने। । 
हम तोहइ साहित्य मान्यन तै 
पै तुम सत्ता हया फलाने। । 

हेमराज   

समय काहू का सगहा नही भा। ।

मुक्तक 

करिआरी अस पगहा नही भा। 
फ़ौज मा भर्ती रोगहा नही भा। । 
उनसे जाके कहि द्या भूभुर न करै 
समय काहू का सगहा नही भा। ।

हेमराज http;//baghelisahitya

बुधवार, 11 मार्च 2015

चला फलाने तरबा चाटी।

मुक्तक 

चला फलाने तरबा चाटी।
 औ पुन बइठे नक्क्स काटी। । 
चापलूस   के   परम्परा  कै 
सदियन से आपन परिपाटी। । 

हेमराज http'//baghelisahitya

मंगलवार, 10 मार्च 2015

योजनाओ को खा रहा भ्रष्टाचार का वाज। ।

लगता है  थक गये   माननीय शिवराज। 
योजनाओ को खा रहा भ्रष्टाचार का वाज। । 

"कृषि कर्मण"पुन के मिला धन्य धन्य शिवराज।

दोहा 

"कृषि कर्मण"पुन के मिला धन्य धन्य शिवराज। 
गद गद मध्यप्रदेश है औ जन जन का नाज़। ।   

भ्रष्टाचार मा लग रहा एकव नही लगाम।

कुण्डलिया 

भ्रष्टाचार मा लग रहा एकव नही लगाम। 
बिना घूँस के होय न एकठेव लिग्धा काम। । 
एकठेव लिग्धा काम कि जनता ही चउआनी।
हाहाकार   मचा   है    बाउर   ही   रजधानी। । 
चाहे   राशन कार्ड   हो या  कि  हो  आधार।
रिसवत हर जंघा लगी पसरा भ्रष्टाचार। । 

हेमराज हंस   

रविवार, 8 मार्च 2015

उनही गुजरात का गरबा जनाथै। ।

बघेली मुक्तक

 "फूल "   हमही     जरबा   जनाथै। 
बिन   जंगला   केर  अरबा जनाथै। । 
कश्मीर मा आतंकी खून कै होरी खेला थें 
उनही    गुजरात  का  गरबा जनाथै। ।  
                             

                                        हेमराज http;//baghelisahitya.com

शनिवार, 7 मार्च 2015

जो गद्दारों की रिहाई खुले आम करते हैं। ।

मुक्तक 

वे उनकी देश भक्ति को ?सलाम करते है। 
जो गद्दारों की रिहाई खुले आम करते हैं। । 
घाटी में सिसकता है बलिदानियों का खून 
ये वतन परस्ती को नीलाम करते है। । 

हेमराज हंस 

गुड़ देखाय के गूड़ा कै बात करा थें।

बघेली  गजल 

गुड़  देखाय के गूड़ा कै बात करा थें। 
मूड़ घोटाय के जूडा  कै बात करा थें।।
कहां से उनखे देहें का खून खऊलय,
चूड़ी पहिर के चूड़ा कै बात करा थें। । 
बपुरी  देस   भक्ती  बिहोस परी  ही ,
चाबिस ही बीछी  सूंडा  कै बात करा थें। । 
घोटालन का घुरबा लगा है भोपाल मा ,
चौपालन से बहरी कूड़ा कै बात करा थें। । 
खेत -खरिहान   बेचै  कै  तयारी   ही,
बखरी के बखारी से पूड़ा कै बात करा थें। । 
बहिगै    सत्ता के    धारा     मा    ३७० ,
नाटक मा मदारी जमूरा कै बात करा थें। । 

हेमराज 
    

मंगलवार, 3 मार्च 2015

उई अच्छे दिन का हलफनामा मागाथें।

बघेली  मुक्तक

उई अच्छे दिन का हलफनामा मागाथें। 
चाउर  का   रिन   सुदामा   मागाथें। । 
उनखर सूट बिकगै करोड़न मा फलाने 
अब खरीददार  कुर्था पायजामा मागाथें। । 
                                                          
          हेमराज   फलाने 
http;//baghelisahitya.com                                             
                                                        

उई अच्छे दिन का हलफनामा मागाथें।

उई अच्छे दिन का हलफनामा मागाथें। 

उई अच्छे दिन का हलफनामा मागाथें। 

रविवार, 1 मार्च 2015

बघेली मुक्तक

बघेली  मुक्तक 

----------------------------http.//baghelisahitya.com
हम  जानिथे अपना कै मजबूरी ही। 
धंधा करय का है ता राजनीत जरुरी ही। । 
सत्तर साल होइगे देस का आज़ाद भये 
गाँव तरसै पानी का अपना के मुँह मा अंगूरी ही। । 
                                                                     


      हेमराज  

9575287490

                                                              

                                                                   

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...