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सोमवार, 4 मई 2015

रविवार, 3 मई 2015

हमरे ईमानदारी का रकवा रोज घटा थै।

मुक्तक 

हमरे ईमानदारी का रकवा रोज घटा थै। 
या खबर बांच बाँच के करेजा फटा थै। । 
जब उनसे पूंछयन ता कहा थें फलाने 
चरित्र का प्रमाण पत्र थाने मा बटा थै। । 
हेमराज हंस -------9575287490 

शनिवार, 2 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।: शहीदन कै वंदना  ------------------------------------------------- धन्न धन्न सौ बेर धन्न य देस कै पावन माटी।  हमरे पुरखन का प्रताप औ ...

धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।

शहीदन कै वंदना 

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धन्न धन्न सौ बेर धन्न य देस कै पावन माटी। 
हमरे पुरखन का प्रताप औ भारत कै परिपाटी। । 
कहय लाग भारत माता धन्न बहिनी डोर कलाई का। 
जे सीमा मा संगीन लये दइन जीवन देस भलाई का। । 
धन्न कोख महतारी कै जे पूत दान दइन मूठी मा। 
मातृभूमि के देस प्रेम का दूध पिआइन घूंटी मा। । 
धन्न धन्न वा छाती का जेहि एकव है संताप नही। 
बलिदान पूत भा देस निता धन्न धन्न वा बाप कही। । 

धन्न धन्न वा येगुर काहीं  वा सेंदुर कै मांग धन्न। 
ज्याखर भा अहिवात अमर वा नारी केर सोहाग धन्न। । 

उई भाईन कै बांह धन्न मारिन सुबाहु मरीची अस। 
बइरी वृत्तासुर मरै का जे बन गें वज्र दधीची अस। । 
औ अपने अपने रक्तन से वन्दे मातरम उरेह दइन.। 
जब भारत माता मागिस ता उई हँसत निछावर देह दइन। । 

बोली हर हर महादेव कै बोल ऊचें सरहद्दी मा। 
औ बैरिन का मार भगाइन खेलै खेल कबड्डी मा। । 
धन्न उई अमर जबानन का जेहिं कप्फन मिला तिरंगा का। 
जब राख फूल पहुंची प्रयाग ता झूम उचा मन गंगा का। । 
ताल भैरवी देश राग तब गूंजी घाटी घाटी। 
धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देस कै पावन माटी। । 

गरजै लगे  सफ़ेद शेर औ बांधव गढ़ के हिरना। 
फूली नही समतीं बीहर औ केवटी के झिरना। । 
बीर सपूतन के उरांव मा डुबी गइया बछिया। 
बीर पदमधर के बलिदानव का खुब सुमिरै बिछिया। । 

बीर विंध्य कै सुनै कहानी नानी मुन्ना मुन्नी। 
गद्गद होइ गें चित्रकूट औ धार कुड़ी पयसुन्नी।।
अमरकंटक मा बिह्वल रेवा सुन के अमर कहानी। 
विंध पूत सीमा मा जाके बने अमर बलिदानी। । 
 
कलकल करत चली पछिम का दुश्मन कई दहाड़ी। 
सीना तानै'' नरो'' ''पनपथा'' औ" कैमोर' पहाड़ी। । 
तबहिंन हिन्द महा सागर मा बड़ बडबानाल धंधका। 
दुश्मन के भें ढ़ील सटन्ना हिन्दू कुश तक दंदका। ।  

गोपद बनास टठिया साजै औ सोन करै पूजा पाती। 
औ रेवा खुद धन्न होइ गई कइ के उनखर सँझबाती। । 
हे !उनखे तरबा का धूधुर हमरे लिलार का चन्दन बन। 
ओ कवि !तहू दे खून कुछू तबहिन होइ उनखर वंदन। । 
देस भक्ति जनसेवा बाली ही जिनखर परिपाटी। 
धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। । 

हेमराज हंस 9575287490 

















 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है: मुक्तक  रमुआ का पंचर रक्शा धरा है।  औ परछी मा छूँछ बक्सा धरा है। ।  उई कहा थे य विपक्ष कै साजिश आय  हमरे ठई भूख   का नक्शा धरा है....

हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है

मुक्तक 

रमुआ का पंचर रक्शा धरा है। 
औ परछी मा छूँछ बक्सा धरा है। । 
उई कहा थे य विपक्ष कै साजिश आय 
हमरे ठई भूख  का नक्शा धरा है.
हेमराज हंस --9575287490  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।: मुक्तक  अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।  गिरे के बाद भुइ मा गाज नही मिलै। ।  लोकतंत्र मा जनता जेही ठोकराउथी  ओही हरबी हेरे ताज नही म...

अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।

मुक्तक 

अब एक रूपया कै भांज नही मिलै। 
गिरे के बाद भुइ मा गाज नही मिलै। । 
लोकतंत्र मा जनता जेही ठोकराउथी 
ओही हरबी हेरे ताज नही मिलै। । 
हेमराज हंस --9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आपन सहज बघेली आय।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आपन सहज बघेली आय।: बघेली  आपन सहज बघेली आय।  गाँव के क्वारा कै खेली आय। ।  विंध्य हबै ज्याखर अहिवात  ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। ।  हेमराज हंस --957528...

आपन सहज बघेली आय।

बघेली 

आपन सहज बघेली आय। 
गाँव के क्वारा कै खेली आय। । 
विंध्य हबै ज्याखर अहिवात 
ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। । 
हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 1 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।: बघेली कविता  मजूर   [बघेली कविता ] हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : -----------------------------------मजूर हम मजूर ब...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ----------------------------------- मजूर हम मजूर ब...: ----------------------------------- मजूर  हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।  करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।  माघ पूस क...
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मजूर 

हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। 
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। । 
माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया। 
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। । 
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहू हरवाही। 
खटत खेत खरिहान खान म काहू  ताके पाही। । 
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ। 
कहै क त गंगा जल अस है पबरित हमार पसीना। 
तउ ''कर्मनाशा ''अस तन है पीरा पाले सीना।।
बड़े लगन से देश बनाई मेहनत करी आकूत। 
मेहनत आय गीता रामायन हम हन तउ अछूत। । 
छुआछूत का हइया दाबे देस समाज का टेटुआ। 
हम मजूर -----------------------------
हम पसीना   से देस का सीच्यन हमरै किस्मत सूखी। 
देस कोष मा भरयन लक्ष्मी घर कै लक्ष्मी भूखी। ।  
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी। 
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। । 
फूका परा है हमरे घर मा तउ  हम गाई फगुआ। । 
हम मजूर ------------  
हमिन बनायन लालकिला खजुराहो ताज महल। 
हमिन बनायन  दमदम पालम  सुघर जिहाज महल। । 
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया। 
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। । 
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ। 
हम मजूर ---------

''कर्म प्रधान विश्व करी राखा ''कहि गें तुलसी दास। 
कर्म देव के हम विश्कर्मा देस मा पाई त्रास। । 
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ। 
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। । 
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ। 
हम 

बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार। 
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। । 
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून। 
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। । 
न्याय मांगे मा काल्ह मारे गें दत्ता नियोगी रघुआ। 

भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला। 
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। । 
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान। 
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। । 
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ। 
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। ।
हेमराज हंस ----------9575287490

































हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।



बघेली कविता 





मजूर   [बघेली कविता ]



हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।
माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया। 
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। ।
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहू हरवाही।
खटत खेत खरिहान खान म काहू ताके पाही। ।
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ।

''कर्म प्रधान विश्व करी राखा ''कहि गें तुलसी दास। 
कर्म देव के हम विश्कर्मा देस मा पाई त्रास। । 
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ। 
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। । 
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ। 
हम पसीना से देस का सीच्यन हमरै किस्मत सूखी। 
देस कोष मा भरयन लक्ष्मी घर कै लक्ष्मी भूखी। । 
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी। 
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। । 
फूका परा है हमरे घर मा तउ हम गाई फगुआ। । 
हम मजूर ------------

हमिन बनायन लालकिला खजुराहो ताज महल। 
हमिन बनायन दमदम पालम सुघर जिहाज महल। । 
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया। 
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। । 
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ। 
कहै क त गंगा जल अस है पबरित हमार पसीना। 
तउ ''कर्मनाशा ''अस तन है पीरा पाले सीना।।
बड़े लगन से देश बनाई मेहनत करी आकूत। 
मेहनत आय गीता रामायन हम हन तउ अछूत। । 
छुआछूत का हइया दाबे देस समाज का टेटुआ। 
हम मजूर ---
बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार। 
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। । 
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून। 
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। । 
न्याय मांगे मा काल्ह मारे गें दत्ता नियोगी रघुआ। 
हम मजूर ---------------------------------
 भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला। 
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। । 
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान। 
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। । 
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ। 
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। । 
 हेमराज हंस ----------9575287490  bagheli sahitya

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...