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शनिवार, 23 मई 2015

शहर मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव ----

कविता 

शहर   मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव  --------------------------------------------------
दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट। 
राजनीत औ अपराधी अस सगली हाट  मिलावट। । 
बेईमानन के बेईमानी मा डगमग जीवन नाव। 
 

bagheli kavita बघेली कविता

 

बघेली  कविता 

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 दुर्घट भै बन बइर् ,बिहि,औ जामुन पना अमावट। 
राजनीत औ अपराधी औ अपराधी अस 

बुधवार, 20 मई 2015

आबा हम गाँव का कोलान देखाई थे।

मुक्तक 

आबा हम गाँव का कोलान देखाई थे। 
होन आजादी का बइकलान देखाई थे। । 
जेही तुम वोट कै मण्डी समझत्या है 
ओखे गरीबी का चालान देखाई थे। । 
हेमराज हंस 
  

मंगलवार, 19 मई 2015

 मुक्तक 

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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।: मुक्तक  - देस         से   बड़ी   पार्टी  नही   होय।  जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।  भले   बिभीषन   भक्त   हें राम   के  पै विश्...

जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।

मुक्तक 

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देस        से   बड़ी   पार्टी  नही   होय। 
जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। । 
भले   बिभीषन   भक्त   हें राम   के 
पै विश्व मा गद्दारन कै आरती नही होय। । 
हेमराज हंस ----------9575287490 

सोमवार, 18 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।: मुक्तक  -------------------------------------- जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।  तब   जनता आपन पीठ बाँटा थी। ।  देस मा मजूरन के क्...

जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।

मुक्तक 

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जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी। 
तब   जनता आपन पीठ बाँटा थी। । 
देस मा मजूरन के क्याबा होइ रहे हें 
ब्यवस्था मीठ मीठ भाषन बाँटा थी। । 
हेमराज हंस -----------9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।: मुक्तक  -------------------------------------------------- उई  प्रगतिशील हैं तउ डाईन  हेरा थें।  सूर्पनखा के  नाक कै डिजाइन हेरा थें...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।: मुक्तक  -------------------------------------------- भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।  बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । ...

भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।

मुक्तक 

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भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय। 
बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । 
बपुरी जनता नेम प्रेम भाई चारा से रहि तो लेय 
जो हमरे देस के नेतन का नैतिक अँधिआरी पाख न होय। । 
हेमराज हंस ---------------9575287490 

रविवार, 17 मई 2015

ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। ।

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राजनीति माफिआ  सी लगती है। 
ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। । 
हेमराज हंस 

शनिवार, 16 मई 2015

उई दहाई तक आय गें यहै दशा मा। ।

मुक्तक 

मोटाई  हरबी चढ़ा थी सत्ता के बसा मा। 
उई दहाई तक आय गें यहै दशा मा। । 
जनता कबहू  कहू कै सगही नही भै 
छिन मा उतरा थी जे रहा नशा मा। । 
हेमराज हंस 

भारत माता पाँव मा गुखरू बांधे बागा थी। ।

मुक्तक 

राजनीत पांव मा  घुंघरू बांधे बागा थी। 
भारत माता पाँव मा गुखरू बांधे बागा थी। । 
मँहगाई बजिंदा बोकइया कइ दीन्हिस 
गुंडई लंच का कुकड़ू कूं लये बागा थी। । 
हेमराज हंस  

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...