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शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।

             बिटिया 

ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी  स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे। 
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। । 

खेलै चन्दा, लगड़ी, गिप्पी, गोटी, पुत्ता -पुत्ती  । 
छीन भर मा  मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। । 
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। । 

ठउर लगाबै अउजै परसै करै चार ठे त्वारा। 
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। । 
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे। 

बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी। 
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। । 
हमरे टोरिअन काही  खाये जा थै दइया रे। 

भले नही भइ भये मा स्वाहर पै न माना अभारु। 
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। । 
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे। 

कन्यन कै होइ रही ही हत्या बिगड़ि  रहा अनुपात। 
यहै पतन जो रही 'हंस ' ता कइसा सजी बरात। । 
मुरही कोख से टेर लगाबै बचा ले मइया रे। । 
हेमराज हंस --9575287490 
(आकाशवाणी रीवा से प्रसारित )         

रविवार, 6 सितंबर 2015

बघेली नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।

बघेली मुक्तक 

आबा भाई आँसू पोंछी पचके पचके गाल से।  
नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।
टूट बडेरी अस जिंदगानी पाछू बइठ समाज के 
अजुअव ओढ़काबा है  टटबा जेखे सत्तर साल से। । 
हेमराज हंस   

BAGHELI वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय।

बघेली मुक्तक 

वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय। 
समाज का चित्र औ वहै इतिहास आय। । 
ओका दूध से भरा चाह दारू से 
आपन सदन त एक गिलास आय। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 24 अगस्त 2015

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी 

नाच रही ही दुल दुल घोड़ी। 
मँहगाई गुंडई कै जोड़ी। । 
अच्छे दिन केत्ती दूरी हें 
पूछ रही पापा से मोड़ी। । 
हेमराज हंस  

रविवार, 16 अगस्त 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है: आबा  मुखिया जी स्वागत है  आबा मुखिया जी स्वागत है।   शारद मइया कै धर्म भूमि।  य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। ।  भुइ गोलामठ औढरद...

bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है

आबा  मुखिया जी स्वागत है 

आबा मुखिया जी स्वागत है। 
 शारद मइया कै धर्म भूमि। 
य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। । 
भुइ गोलामठ औढरदानी कै  । 
सम्पत तेली बलिदानी कै। । 
मुड़िया बाबा के धूनी मा 
बंदन अभिनन्दन शत शत है। । 
आबा मुखिया जी स्वागत है। । 
हेन ही मिल्लस कै परिपाटी। 
पुरवा ,ओइला ,गणेश घाटी। । 
औ रामपुर के राधा किशना। 
दर्शन से मिटै धृणा तृष्णा। । 
बड़ा अखाडा मा मनस्वनी 
कै पयस्वनी निकरत है। । 
आबा ---------------------
या विंध्य द्धार लेशे है कलश। 
पानी लये कलकल बहै टमस। । 
जब से ठगि के गें हें कुम्भज। 
ता विंध्य का निहुरा है गुम्मच  । । 
गुरू अगस्त के निता झुका है 
या अटल  झुकेही  का ब्रत है। । 
आबा मुखिया ----------------

हेमराज हंस -9575287490 













शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

घर से निकरा पहिर के बिन कालर कै सल्ट। ।

बिन कालर कै सल्ट 

पता नही कउने जघा को कर दे इंसल्ट 
घर से निकरा पहिर के बिन कालर कै सल्ट। । 
हेमराज हंस   9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --957528...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --957528...: मुक्तक  दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें।  हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। ।  जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली  ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें...

ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --9575287490

मुक्तक 

दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें। 
हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। । 
जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली 
ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । 
हेमराज हंस --9575287490 

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।: बघेली गजल  ठोंका तुहू सलामी भाई।  भले देखा थी खामी भाई। ।  केत्तव मूसर जबर होय पै  वमै लगा थी सामी भाई। ।  सत्तर साल के लोक तंत्...

पै न कह्या हरामी भाई। ।

बघेली गजल 

ठोंका तुहू सलामी भाई। 
भले देखा थी खामी भाई। । 
केत्तव मूसर जबर होय पै 
वमै लगा थी सामी भाई। । 
सत्तर साल के लोक तंत्र का 
ग्यारै लाग बेरामी भाई। । 
एक कइ पचके हें गलुआ 
औ एक कइ ललामी भाई। । 
पता नही धौ घुसे हें केत्ते 
बड़ी जबर ही वामी भाई। । 
केखर केखर मुँह सी देहा 
सबतर ही बदलामी भाई। । 
भले खा थें उई हराम का 
पै न कह्या हरामी भाई। । 
'हंस 'करय अनरीत अम्मलक 
भरा हुंकारी हामी भाई। । 

हेमराज हंस --9575287490 

बुधवार, 22 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज...: BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क... : दोहा  बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।  गं...

चपके रहा जोंक अस।


चपके रहा जोंक अस। 
कायर डरपोक अस। । 
कलिंग के शोक मा 
लगत्या है अशोक अस। । 
हेमराज हंस 

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

bagheli kavitaहमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा।

मुक्तक 

हमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा। 
जनता का नफरत का तमाचा न देखाबा। । 
य देस देखे बइठ है महाभारत के युयुत्स का 
अपने वफादारी का साँचा न देखबा। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...