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मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।: जिसने सर्व धर्म सदभाव को समेटा है। जिसने लघु भारत के रूप को लपेटा है। । उस मैहर की पुण्य भूमि को देव तक नमन करते जहां शारदा सी मा...
जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।
जिसने सर्व धर्म सदभाव को समेटा है।
जिसने लघु भारत के रूप को लपेटा है। ।
उस मैहर की पुण्य भूमि को देव तक नमन करते
जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।
हेमराज हंस -मैहर
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans शीलवान भी यहां निःशील हो गये।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans शीलवान भी यहां निःशील हो गये।: निःशील हो गये शीलवान भी यहां निःशील हो गये। बंधु कंज भी यहां करील हो गये। । माना था जिनको स्त्रोत हमने मीठे नीर का वे भी खारे ...
hemraj hans शीलवान भी यहां निःशील हो गये।
निःशील हो गये
शीलवान भी यहां निःशील हो गये।
बंधु कंज भी यहां करील हो गये। ।
माना था जिनको स्त्रोत हमने मीठे नीर का
वे भी खारे जल की सांभर झील हो गये। ।
जो पाठ पढ़ाते रहे स्वदेश प्रेम का
वे विदेशी पोषकों के डील हो गये। ।
ज्ञान नही जिनको थाह और धार की
वे ब्यवस्था सेतु के नल -नील हो गये। ।
हमने जिन्हे जाना था मनस्वनी का हंस
मित्र देखिये तो वही चील हो गये।।
हेमराज हंस ---मैहर
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।: शौचालय बनवाबा शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। । हमरी ब...
सोमवार, 19 अक्टूबर 2015
शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...: मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का। मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। । दिन दिन दूना होय देस मा ...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।: शौचालय बनवाबा शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा। अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। । हमरी ...
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...: मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का। मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। । दिन दिन दूना होय देस मा ...
मातु शारदे
हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का।
मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। ।
दिन दिन दूना होय देस मा लोक तंत्र मजबूत।
घर घर बिटिया विदुषी हो औ लड़िका होय सपूत। ।
विद्वानन से सभा सजै औ पतन होय हुरदंगा का।
'वसुधैव कुटुम्बम 'केर भावना बसी रहय सबके मन मा।
औ परबस्ती निता ललायित रहै कामना जन जन मा। ।
देस प्रेम कै जोत जुगै कहूँ मिलै ठउर न दंगा का।
खेलै पढ़ै बढ़ै विद्यार्थी रोजी मिलै जवानन का।
रोटी औ सम्मान मिलै घर घर बूढ़ सयानन का। ।
'रामेश्वरम मा चढ़त रहै जल गंगोतरी के गंगा का।
हेमराज हंस -----9575287490
शुक्रवार, 25 सितंबर 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज...: गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल। 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज हंस
'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज हंस
गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल।
'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। ।
हेमराज हंस
'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। ।
हेमराज हंस
शुक्रवार, 18 सितंबर 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।: बिटिया ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे। टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। । खेलै चन्द...
हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।
बिटिया
ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे।
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।
खेलै चन्दा, लगड़ी, गिप्पी, गोटी, पुत्ता -पुत्ती ।
छीन भर मा मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। ।
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। ।
ठउर लगाबै अउजै परसै करै चार ठे त्वारा।
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। ।
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे।
बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी।
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। ।
हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।
भले नही भइ भये मा स्वाहर पै न माना अभारु।
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। ।
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे।
कन्यन कै होइ रही ही हत्या बिगड़ि रहा अनुपात।
यहै पतन जो रही 'हंस ' ता कइसा सजी बरात। ।
मुरही कोख से टेर लगाबै बचा ले मइया रे। ।
हेमराज हंस --9575287490
(आकाशवाणी रीवा से प्रसारित )
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