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रविवार, 3 जनवरी 2016

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

हम दयन नये साल कै बधाई। हेमराज हँस

हम दयन नये साल कै बधाई। 
फलाने कहिन तोहई लाज नही आई। । 
कुटिआ के खुंटिआ का कलेण्डर बदला है 
पै अबहूँ धरी ही टुटही चार पाई। । 
हेमराज हँस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।: दरबारन मा चर्चा ही कम्पूटर इंटरनेट के।   खरिहनन मा मरै किसनमा फन्दा गरे लपेट के ।   ।   प्रेमचन्द के होरी का उइं उँगरी धरे बताउथें  द्या...

बुधवार, 30 दिसंबर 2015

द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।

दरबारन मा चर्चा ही कम्पूटर इंटरनेट के।  
खरिहनन मा मरै किसनमा फन्दा गरे लपेट के।  ।  
प्रेमचन्द के होरी का उइं उँगरी धरे बताउथें 
द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के ।  ।  
हेमराज हंस   

सोमवार, 28 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस: बघेली मुक्तक  उइ कुरसी का खेल  अक्कड़ बक्कड समझा थें।  जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। ।  चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा  हमरे लो...

हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस

बघेली मुक्तक 
उइ कुरसी का खेल  अक्कड़ बक्कड समझा थें। 
जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। । 
चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा 
हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । 
हेमराज हँस 

शनिवार, 26 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।: बघेली मुक्तक  देस टकटकी लगाये है काले धन के आस कै।  अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै।  ।  घुटकी भर खाय के दिल्ली डकारा थी  ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।: bagheli muktak  भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।  एहिन से  ओही सइघ नही अउना पउना है। ।  पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी  दु...

अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।

बघेली मुक्तक 
देस टकटकी लगाये है काले धन के आस कै। 
अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। । 
घुटकी भर खाय के दिल्ली डकारा थी 
देस का बताउथी महातिम उपास कै। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।

bagheli muktak 

भले जीभ दार है पै मकुना मउना है। 
एहिन से  ओही सइघ नही अउना पउना है।। 
पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी 
दुधारु लोकतंत्र के पडउना का थमाउना है। । 
हेमराज हँस       

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA गुण्डा घर अस बखरी द्याखा। ।

समय कै घूमत चकरी द्याखा।
गुंडन कै पैपखरी द्याखा। । 
पीपर अस आक्सीजन देतीं 
गुण्डा घर अस बखरी द्याखा। । 
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...: गरीबन का कउनव दल नही होय।  ओखे समिस्या का हल नही होय। ।  वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय  पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।  हेमराज ह...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...: गरीबन का कउनव दल नही होय।  ओखे समिस्या का हल नही होय। ।  वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय  पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।  हेमराज ह...

bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।

गरीबन का कउनव दल नही होय। 
ओखे समिस्या का हल नही होय। । 
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय 
पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। । 
हेमराज हंस

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...