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बुधवार, 12 अक्टूबर 2022
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : आबा बिकास का गड़बा देखाई थे। BAGHELI KAVITA
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : आबा बिकास का गड़बा देखाई थे। BAGHELI KAVITA: आबा बिकास का गड़बा देखाई थे। वमै डबरा योजना का पड़बा दिखाई थे।। जउन किसानन कै आमदानी भै दूगुन ओखे मड़इया के खड़बा देखाई थे। । ...
शनिवार, 8 अक्टूबर 2022
सगली दुनिया हिबै अचंभित
सगली दुनिया हिबै अचंभित ,दइके नाक रुमाल।
सत्य अहिंसा के धरती मा , करुणा होय हलाल। ।
छाती पीट -पीट के रोबै, साबरमती कै धारा।
अब ता बरनव के घर माही। धधक रहें अंगारा। ।
कोउ बता द्या राजघाट मा ,गांधी जी से हाल।
जहाँ कै माटी सत्य अहिंसा केर विश्वविद्यालय।
वहै धरा मा बहै खून ,औ मार काट का परलय। ।
गौतम गाँधी के भुइ माही बसे हमै चंडाल।
भारत माता के बिटियन के मरजादा का बीमा।
अब ता उनखे बेसर्मी कै नहि आय कउनौ सीमा। ।
बड़मन्सी कै बोली ब्वालै बड़ बंचक बचाल।
काल्ह द्रोण मागिन तै अउठा ,आज लइ लइन जान।
बिद्या कै पबरित परिपाटी तक होइगै बलिदान। ।
रह्यान कबौ हम बिश्व गुरु पै आज गुरू घंटाल।
शहरन माही आजादी के होथें मङ्गलचार।
आजव भारत के गॉवन का दमै पबाई दार। ।
सामंती के दुनाली से कापि रही चउपाल।
रविवार, 25 सितंबर 2022
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : जइसा नहा मा फांस
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : जइसा नहा मा फांस: नेता जी के नाव से उभरै चित्र सुभाष। अब के नेता लगि रहें जइसा नहा मा फांस।।
शनिवार, 24 सितंबर 2022
शुक्रवार, 23 सितंबर 2022
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : अपना के तेल मा
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : अपना के तेल मा: अपना के तेल मा खरी अस जनाथी। या सम्बेदना मसखरी अस जनाथी।। जे डबल रोटी का कलेबा करा थें उनही अगाकर जरी अस जना थी। ।
मंगलवार, 13 सितंबर 2022
रविवार, 14 अगस्त 2022
बघेली मुक्तक
जानी थे सुमर आय पै बराह मानी थे।
काहू कै नमूंजी करब गुनाह मानी थे।।
गंगा कबेरी रेबा त मंत्र आंय नहात के
हम बांस बिरबा तक का बाह मनीथे।।
शनिवार, 23 अप्रैल 2022
दानी ता दानी उंइ सूम तक का जानाथें।
दानी ता दानी उंइ सूम तक का जानाथें।
बड़े अंतरजामी हें बाथरूम तक का जानाथैं।। उनसे खुई कइ के सुंग कण्व न बनाबा
उंई मंत्र पिंडदान से हूम तक का जानाथैं।।
बुधवार, 6 अप्रैल 2022
मंगलवार, 5 अप्रैल 2022
गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस
गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस।
देश के माटी मा जन जन के नारा अस।।
गांधी पढाये जइहैं सब दिन इसकूल मा
भारत के भभिस्स का गिनती औ पहाड़ा अस।।
रविवार, 3 अप्रैल 2022
कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है
कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है।
कोउ दुसमन से त कोउ करीबी से दुखी है।।
या दुनिया मा सुख संच हेरे नही मिलय
कोऊ मिया से ता कोउ बीबी से दुखी है।।
रविवार, 27 मार्च 2022
उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय
उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय ।
औ उनखे घर मा जनाउर पइदा होंय ।।
एक बूंद पानी न बरखै खेत मा
औ सीधे धान नही चाउर पइदा होंय।।
रविवार, 16 अगस्त 2020
रविवार, 9 अगस्त 2020
जो भउजाई बांख न होय
भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।
बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। ।
देस कै जनता नेम प्रेम भाई चारा से रहि तो लेय
जो हमरे देस मा नफरत कै कारी अँधिआरी पाख न होय। ।
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कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...