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रविवार, 5 मई 2024

शासक जब कीन्हिन बहुत, सोसन अत्याचार।

 शासक जब कीन्हिन बहुत, सोसन अत्याचार। 
तब ईस्वर   का  लें परा, फरस  राम  अबतार।। 
 
दुस्टन काही काल अस, औ सज्जन का संत ।
भृगु  नंदन श्री राम हैं, स्वाभि मान    श्री मंत ।।

भारत पूजिस सब दिना,रिसी कृसी के साथ।
एक हाथे मा शास्त्र का, शस्त्र का दूजे हाथ।। 

जुग नायक ता भे नहीं, कबौं जात  मा कैद। 
उइं  बीमार समाज के, हें सुभ चिंतक बैद।।  

भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक परशुराम

भारतीय  स्वाभिमान के प्रतीक परशुराम। 
सनातनी  समाज के  हैं  लीक  परशुराम।।

दुष्ट   शासकों .को  दंड  देने   के  लिये 
मिशाल  वीरता की  एक सीख  परशुराम।।

आताताइयों  के  लिए हैं  वे एक काल  सम
 साधु सज्जनों के लिये ठीक परशुराम।।

चारो  युग में   हैं वे  पूजनीय    अमर भी 
शूरता  की  मूर्ति  हैं  निर्भीक परशुराम। ।

धन्य  माता  रेणुका  जमदागनी   पिता। 
श्री विष्णु  अवतार पुंडरीक  परशुराम। । 
हेमराज हंस 

मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।

हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।

माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया।
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। ।
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहूं  हरवाही।
खटत खेत खरिहान खान म कबहूं  ताके पाही। ।
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ।
हम मजूर------------------------------------
''कर्म प्रधान विश्व करी राखा ''कहि गें तुलसी दास।
कर्म देव के  हम  विश्कर्मा  देस  मा पाई त्रास। ।
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ।
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। ।
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ।
हम मजूर ------------
हम पसीना से देस का सीच्यन हमरै किस्मत सूखी।
देस कोष मा  भरयन  लक्ष्मी घर कै "लक्ष्मी" भूखी। ।
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी।
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। । 
फूंका  परा है हमरे घर मा तउ हम गाई फगुआ। ।
हम मजूर ------------
हमिन बनायन लालकिला खजुराहो ताज महल।
हमिन बनायन दमदम पालम सुघर जिहाज महल। ।
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया।
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। ।
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ।
हम मजूर------------------------------------
बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार।
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। ।
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून।
पूंजी  पति के  पॉय तरी  है देस का श्रम कानून। ।
 काल्ह मारे गें सुकुल, तिबारी, दत्ता, नियोगी, रघुआ।
हम मजूर ---------------------------------
 भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला।
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। ।
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान।
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। ।

हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ।
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। । 
           हेमराज हंस भेड़ा  मैहर 

सोमवार, 29 अप्रैल 2024

पइ महलन के कोंख से आये सब दिन बुद्ध।।

सब दिन लड़ें गरीब हेन लोक धरम का जुद्ध। पइ महलन के कोंख से आये सब दिन बुद्ध।। भारत के पहिचान हें राम बुद्ध औ कृष्न। इन माही स्वीकार नहि कउनौं क्षेपक प्रश्न।।

पूंछ रही ही दलन से, लोक सभा कै ईंट।

 पूंछ रही ही दलन से, लोक सभा कै ईंट। 
केतने  दुष्कर्मी  निता, है आरक्षित सींट।।

रविवार, 28 अप्रैल 2024

गरीबन के खातिर सब मनसेरुआ हें।

 गरीबन  के  खातिर  सब  मनसेरुआ  हें।
बिचारे के खटिआ मा तीन ठे पेरूआ हें। ।

चाह  एक  तंत्र   हो  या  कि   लोक  तंत्र 
कबहुं पकड़ी कालर गै कबहूं चेरुआ  हें।।

उइ  कहा  थें  भेद  भाव  काहू   से  नहीं 
पै कोठी का चुकंदर कुटिआ का रेरुआ हें।। 

राबन का सीता मइया चिन्हती  हैं नीक के 
तउ देती हइ भीख ओखे तन मा गेरूआ हें।। 

गरमी  कै छुटटी भै ता हंस  चहल पहल ही 
मामा के घरे बहिनी औ भइने बछेरुआ हें।।
हेमराज हंस 

शनिवार, 27 अप्रैल 2024

छंद के लिखइया नारा लिखय लगें

छंद   के लिखइया   नारा  लिखय लगें । 
समुद्र का उदुआन इंदारा लिखय लगें ।।

अँगना  मा रोप जेखर  करी थे आरती
घर के बैद तुलसी का चारा लिखय लगें ।।

भें जबसे प्रगतिशील औ सभ्भ नागरिक
ता अपने परंपरा का  टारा  लिखय लगें।।

नफरत का बिजहा जेखे बिचार मा भरा 
रगे सिआर  भाई  चारा   लिखय  लगें।।
 
उइ  जानकार  पांड़े  जहिया  से  बने हें 
तब से आठ चार का ग्यारा  लिखय लगें।।

भूंखा कलेउहा गातै हंस बिनिया बिनै का
उइ ओही टंटपाली आबारा  लिखय लगें।।
हेमराज हंस 

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

मैहर मा चमकत रहैं, राम नरेश आदित्य।

 पीरा गावय  मा कबव, करय कसर न शेष।

आंसू के राज कुमार हैं, कबिबर रामनरेश


।।


जिनखे लेखन मा हबै, शब्दन कै  मरजाद ।

कविता सीधे हिदय से, करै  करुन  संबाद।।

 

पयसुन्नी  अस सब्द का, जे पूजय  दिनरात। 

कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।   

 

गीत ग़ज़ल कै आरती ,  दोहा कविता छंद।

आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।

 

शब्द  ब्रह्म  का  रुप है,  वर्ण  धरै जब भेष।

मइहर  मा  एक  संत  हैं, पंडित रामनरेश।।


लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य। 

मैहर मा  चमकत रहैं,  राम नरेश आदित्य।। 

रविवार, 21 अप्रैल 2024

जउन मेंछा मा ही शान वा पूंछी मा नहीं ।।

 जाति   बाद  के  मथरे   परंगत  नहीं  परै। 
राबन  के  बहकाये   मा  अंगद  नहीं परै।। 
चाह   जउन   जात   के  होंय   समाज सेवक  
पै गरीबन  के साथ उनखर  पंगत नहीं परै।।
हेमराज हंस 
चमचा गीरी जेखे कलम कूंची मा नहीं। 
वाखर  नाव  अपना  के  सूची  मा नहीं।।
देस  कै  जनता  जाना  थी    नीक   के  
जउन मेंछा मा ही शान वा पूंछी मा  नहीं ।। 
हेमराज हंस 

हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।
पता नही  तन मा धौं  कउन  रोग रहा थै। ।
तन   से    हें   बुद्ध   मन    से   बहेलिया
पंछी  अस  पीरा  य  लोकतंत्र सहा थै ।।
हेमराज हंस 

बुधवार, 10 अप्रैल 2024

खखरी भुंडी तक किहिन,मानस का अपमान

 जीबन  के  हर  पक्ष  का,जे  दे  सरल निदान। 

खखरी भुंडी तक किहिन,मानस का अपमान।।


लगी  रही  जब  देस  मा, गरिआमै  कै  रयाव।

ता  न किहा  आलोचना, औ न दीन्हया ठयाव।।


डेंगू अउर  मलेरिया,  कह्या  तु  ऊल जलूल। 

वा तोहरे अपमान का, सकब  न हरबी भूल।। 

हेमराज हंस   

हिंआ कांगरेसी करैं, भाजपा केर प्रचार।

 देखा अपने  देस  मा, प्रेम औ भाइपचार। 

हिंआ कांगरेसी करैं, भाजपा  केर प्रचार।। 

हेमराज हंस 

मंगलवार, 9 अप्रैल 2024

नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें

 उइ बात बड़ी ठोस औ प्रमानिक बताऊ  थें। 

सामाजिक   जहर   का   टानिक   बताऊ थें।। 

जब उनही  देखाय  लाग  दाई  का  माइक  

ता उइ घोर   नास्तिक का  पुरानिक बताऊ थें। ।

हेमराज हंस 

सोमवार, 8 अप्रैल 2024

नये साल सम्बत् का आजु शुभ पर्व है।

सनातन के नेरे रिगु साम यजु अथर्व है।
अपने परिपाटी का हमीं बड़ा गर्व है। ।
कोट कोट बधाई देस बासिन का हंस
नये साल सम्बत् का आजु शुभ पर्व है। ।  

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अपना का सादर बधाई शुभकामना। पावन नव रात्री कै घट इस्थापना।। अपने शुभ संबत का नबा साल आबा पूर करंय मैया जी सब कै मनोकामना।। हेमराज हंस
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नये संबत केर बधाई, भइय्या बंदेमातरम। चाही सबकै नीक भलाई ,भइय्या बंदेमातरम।। देस माही सुख संच ले आबै दुइ हजार इक्यासी। एक सुर मा सब कोउ गाई, भइय्या बंदेमातरम।। हेमराज हँस

शनिवार, 6 अप्रैल 2024

सगले अइगुन माफ

श्री राघव जू खुद कहिन, तमिलनाडु मा साफ। 
जे अइ उनखे  सरन मा, सगले अइगुन  माफ।।  
हेमराज हँस 

लोकतंत्र के ओंठ

 भले लगा लें जोर सब, उनही दई तिलाक।

करके चूर घमंड का, टोरिहै राम पिनाक।।


चाहे कोउ तिनगै भले, झूरै भांजै तेंग।

जे पूजिस ही अबध का अबकी पाई नेग।।


यतर करी मतदान हम, लगै अउर का ईर।

पूरे भारत मा बनै, आपन बूथ नजीर।।


देस हमीं जीबन दइस, औ सुबिधा चउकेठ।

हंस हमूं मतदान कइ,बनी नागरिक ठेठ।।


सब झंझट का छोड़ि के करी बोट भर पूर।

निकहा प्रत्याशी चुनी जात पात से दूर।।


लोकतंत्र आपन हबय, दुनिआ का लकटंट।

जनतै लड़िअमफूस ही ,जनता ही श्री मंत।।


अपना से बिनती हिबय, डारी सब जन बोट।

जिव निछोह बिदुरा सकैं, लोकतंत्र के ओंठ ।।


कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...