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सोमवार, 24 अगस्त 2015

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी 

नाच रही ही दुल दुल घोड़ी। 
मँहगाई गुंडई कै जोड़ी। । 
अच्छे दिन केत्ती दूरी हें 
पूछ रही पापा से मोड़ी। । 
हेमराज हंस  

रविवार, 16 अगस्त 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है: आबा  मुखिया जी स्वागत है  आबा मुखिया जी स्वागत है।   शारद मइया कै धर्म भूमि।  य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। ।  भुइ गोलामठ औढरद...

bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है

आबा  मुखिया जी स्वागत है 

आबा मुखिया जी स्वागत है। 
 शारद मइया कै धर्म भूमि। 
य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। । 
भुइ गोलामठ औढरदानी कै  । 
सम्पत तेली बलिदानी कै। । 
मुड़िया बाबा के धूनी मा 
बंदन अभिनन्दन शत शत है। । 
आबा मुखिया जी स्वागत है। । 
हेन ही मिल्लस कै परिपाटी। 
पुरवा ,ओइला ,गणेश घाटी। । 
औ रामपुर के राधा किशना। 
दर्शन से मिटै धृणा तृष्णा। । 
बड़ा अखाडा मा मनस्वनी 
कै पयस्वनी निकरत है। । 
आबा ---------------------
या विंध्य द्धार लेशे है कलश। 
पानी लये कलकल बहै टमस। । 
जब से ठगि के गें हें कुम्भज। 
ता विंध्य का निहुरा है गुम्मच  । । 
गुरू अगस्त के निता झुका है 
या अटल  झुकेही  का ब्रत है। । 
आबा मुखिया ----------------

हेमराज हंस -9575287490 













शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

घर से निकरा पहिर के बिन कालर कै सल्ट। ।

बिन कालर कै सल्ट 

पता नही कउने जघा को कर दे इंसल्ट 
घर से निकरा पहिर के बिन कालर कै सल्ट। । 
हेमराज हंस   9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --957528...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --957528...: मुक्तक  दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें।  हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। ।  जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली  ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें...

ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --9575287490

मुक्तक 

दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें। 
हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। । 
जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली 
ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । 
हेमराज हंस --9575287490 

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।: बघेली गजल  ठोंका तुहू सलामी भाई।  भले देखा थी खामी भाई। ।  केत्तव मूसर जबर होय पै  वमै लगा थी सामी भाई। ।  सत्तर साल के लोक तंत्...

पै न कह्या हरामी भाई। ।

बघेली गजल 

ठोंका तुहू सलामी भाई। 
भले देखा थी खामी भाई। । 
केत्तव मूसर जबर होय पै 
वमै लगा थी सामी भाई। । 
सत्तर साल के लोक तंत्र का 
ग्यारै लाग बेरामी भाई। । 
एक कइ पचके हें गलुआ 
औ एक कइ ललामी भाई। । 
पता नही धौ घुसे हें केत्ते 
बड़ी जबर ही वामी भाई। । 
केखर केखर मुँह सी देहा 
सबतर ही बदलामी भाई। । 
भले खा थें उई हराम का 
पै न कह्या हरामी भाई। । 
'हंस 'करय अनरीत अम्मलक 
भरा हुंकारी हामी भाई। । 

हेमराज हंस --9575287490 

बुधवार, 22 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज...: BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क... : दोहा  बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।  गं...

चपके रहा जोंक अस।


चपके रहा जोंक अस। 
कायर डरपोक अस। । 
कलिंग के शोक मा 
लगत्या है अशोक अस। । 
हेमराज हंस 

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

bagheli kavitaहमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा।

मुक्तक 

हमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा। 
जनता का नफरत का तमाचा न देखाबा। । 
य देस देखे बइठ है महाभारत के युयुत्स का 
अपने वफादारी का साँचा न देखबा। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

मंगलवार, 14 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क...: दोहा  बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।  गंधइलन  के कान मा खोंसा फूहा इत्र  । ।  हेमराज हंस 9575287490  

बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।


दोहा 

बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र। 
गंधइलन  के कान मा खोंसा फूहा इत्र  । । 
हेमराज हंस 9575287490   



रविवार, 5 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।: मुक्तक  वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते  है।  कला देखिये  फ़टे छाते  में ऊन सीते हैं.।। समाज में उनका हीं दबदबा है  जो वैभव से भरे हैं...

hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।

मुक्तक 

वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते  है। 
कला देखिये  फ़टे छाते  में ऊन सीते हैं.।।
समाज में उनका हीं दबदबा है 
जो वैभव से भरे हैं संवेदना से रीते हैं। । 
हेमराज हंस --9575287490  

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...