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गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।: दोहा  आंसू आह कराह वेदना औ पीरा संत्रास।  श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।  हेमराज हंस

श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।


दोहा 

आंसू आह कराह वेदना औ पीरा संत्रास। 
श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। । 
हेमराज हंस 

बइरी का कहत बाप चौराहा मा ठाढ़ है। ।

मुक्तक 


अपना का छाँड़ा पाप चौराहा मा ठाढ़ है। 
बइरी का कहत बाप चौराहा मा ठाढ़ है। । 
कुरसी     कै   भूंख   मुखर्जी  का भूल गै 
अब हाथ मल्हा आप वा चौराहा मा ठाढ है। । 
हेमराज हंस -

बुधवार, 15 अप्रैल 2015

वमै हमरे देस का चरित्र चपा है। ।

मुक्तक 

उनही जातिवाद मा खासा नफा है। 
ओहिन मा सत्ता का सुदिन छपा है। । 
जातिवाद देस मा देवारी के परीबा अस 
वमै हमरे देस का चरित्र चपा है। । 
      हेमराज हंस -9575287490 

मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। ।: मुक्तक  बलफ फियुज होइ गा झालर पकड़ के।  उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। ।  सुदामा   के   चाउर   का   उई  का जानै  जे बचपन से खेलिन...

उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। ।

मुक्तक 

बलफ फियुज होइ गा झालर पकड़ के। 
उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। । 
सुदामा   के   चाउर   का   उई  का जानै 
जे बचपन से खेलिन हीं डालर पकड़ के। । 
           हेमराज हंस -    -9575287490 

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमही जना थै वा नशा मा है। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमही जना थै वा नशा मा है। ।: मुक्तक  फलाने कहा थें निकही दशा मा है।  हमही   जना   थै वा    नशा मा है। ।  हेन पीरा के फसल कै लगान लागा थी  किसानन से पूँछा केतू ...

हमही जना थै वा नशा मा है। ।

मुक्तक 

फलाने कहा थें निकही दशा मा है। 
हमही   जना   थै वा    नशा मा है। । 
हेन पीरा के फसल कै लगान लागा थी 
किसानन से पूँछा केतू दुर्दशा मा है। । 
हेमराज हंस -------9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।: बारजा बचा है  बारजा       बचा    है     ओरिया    कहाँ   ही।  चंदा   मामा    दूध कै   खोरिया    कहाँ ही। ।  राशन कार्ड   हलाबत   चली ...

वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।

बारजा बचा है 

बारजा      बचा    है     ओरिया    कहाँ   ही। 
चंदा   मामा    दूध कै   खोरिया    कहाँ ही। । 
राशन कार्ड   हलाबत   चली  गै  तिजिया 
कोटा   बाली   चीनी   कै  बोरिया कहाँ ही। । 
नोकरी  लगबामैं  का कहि  के लई गया तै 
वा  गरीब  कै  बड़मंशी  टोरिया  कहाँ ही। । 
सार अबाही ग्यरमा खूटा औ अम्मा का पहिला सुर 
कामधेनु   कै   पामर  वा  कलोरिया  कहाँ ही। । 
बे पनही   उतारे   मुड़हर   तक   चला  गा 
गाॅव   के   अदब   कै  ओसरिया कहाँ ही। । 
अश्व मेघ   जग्ग   कै  भभूत  परी  ही 
''लिंकन ''के लोकतंत्र कै अजोरिया कहाँ ही। । 
    हेमराज हंस - 9575287490 

रविवार, 12 अप्रैल 2015

लगा थै एहिन से फलाने उघार है। ।

मुक्तक 

उई कहा थें व्यबस्था मा सुधार है। 
लगा थै एहिन से फलाने उघार है। । 
नाक मा रुमाल धरे बाटा थें मावजा 
जनता के ऊपर उनखर उपकार है। । 
         हेमराज हंस -9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।: मुक्तक  हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।  पता नही तन मा धौ कउन रोग रहा थै। ।  तन   से हें  '' बुद्ध ''  मन   से  ...

हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।

मुक्तक 


हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै। 
पता नही तन मा धौ कउन रोग रहा थै। । 
तन   से हें  '' बुद्ध ''  मन   से   बहेलिया 
पंछी अस पीरा या लोकतंत्र सहा थै। । 
             हेमराज हंस  9575287490

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।: मुक्तक  भईस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे।  लिपिस्टिक लगामै का ओठ ख़रीदा थे। ।  दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा  उई एकठे '&#...

उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।

मुक्तक 

भईस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे। 
लिपिस्टिक लगामै का ओठ ख़रीदा थे। । 
दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा 
उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। । 
    हेमराज हंस 

कीर्ति बिटिया माँ बनी

 कीर्ति बिटिया माँ बनी, हरी भरी हुई गोद।  परिजन हैं उल्लास में, सबके मन में मोद।।  आशा दसमी शुभ तिथि, सुदी का स्वाति नक्षत्र।   दो हज्जार  ब...