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शनिवार, 5 दिसंबर 2015

देत्या दोख अहीर का। .. HEMRAJ HANS

अबहूँ नही नसान कुछू कइ ल्या पता कबीर का। 
वध घर का लाइसेन्स बनाउत्या देत्या दोख अहीर का। .. 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।: हम करी चेरउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा।   तुम बइठे नक्कस काटा औ सब जन रहैं कलेष मा। ।  हे अकरमन्न हे कामचोर सब काँपैं तोहरे दांव ...

हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।

हम करी चेरउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा। 
 तुम बइठे नक्कस काटा औ सब जन रहैं कलेष मा। । 
हे अकरमन्न हे कामचोर सब काँपैं तोहरे दांव से। 
कड़ी मशक्कत के कर्ता तक भागै तोहरे नांव से। । 
तुमसे सब है कारबार जस धरा धरी है शेष मा। 

हे चापलूस चउगिर्दा हेन तोहरै तोहार ता धाक हिबै। 
तोहरेन चमचागीरी से हमरे नेतन कै नाक हिबै। । 
तुम कलजुग के देउता आहू अब माहिल के भेष मा। 

हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम। 
बड़ा मजा पउत्या है जब आने कै करा नमूजी तुम। । 
गद्गद होय तोहार आत्मा जब कोउ परै कलेस मा। 

तुम  'मनगवां के कुकूर कस ' चारिव कइती छुछुआत फिरा। 
मुँह देखी मा म्याऊ म्याऊ औ पीठ पीछ गुर्रात फिरा। । 
सगले हार तोहार असर है देस हो य परदेस मा। 

केत्तव होय मिठास चाह छिन भर मा माहुर घोर द्या। 
तुम भाई हितुआ नात परोसी का आपुस मा फोर द्या। । 
तोहरे भीरुहाये मा पति -पत्नी तक चढ़ गें केस   मा। 

हे मंथरा के भाई तुम जय हो हे नारद के नाती। 
नाइ दुआ करत बागा बे डाक टिकस कै तुम पाती। । 
हे राम राज के 'धोबी 'तुम घुन लाग्या अवध नरेश मा
हम करी चेराउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा। । 
 हेमराज हंस

रविवार, 29 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।: हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।  आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें। । एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा  उइ पुनि के &#3...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।: हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।  आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें। । एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा  उइ पुनि के &#3...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।: उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।  भूखी गंडाही कै अकरास नापा थें। । पखना जमे का घमण्ड देख ल्या  ''सम्पाती ''सुरिज का अक...

उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।

उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें। 
भूखी गंडाही कै अकरास नापा थें।
पखना जमे का घमण्ड देख ल्या 
''सम्पाती ''सुरिज का अक्कास नापा थें। । 
हेमराज हंस ====  

हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें। 
आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें।
एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा 
उइ पुनि के ''अगस्त''अस अपराध करय आये हें। 
हेमराज हंस ===9575287490 

सोमवार, 23 नवंबर 2015

bagheli poem गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें।

b

गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें। 
बिचारे के खटिआ मा तीन ठे पेरूआ हें। । 
चाह रजन्सी रही होय य की लोकतंत्र 
मंहगाई गुंडई पकरिन ओकर चेरुआ हें। । 
 वा सदमा से भनेजिन बिहोस परी ही 
मामा कहा थें संच मा भइने बछेरुआ हें। । 
जब से महँग भै दार ता लपटा खई थे
उनखे  निता चुकंदर हमहीं रेरुआ हें । । 
उनखे सुची रास मा गउर धरी ही 
सत्तर साल से हंस के गोहूँ मा गेरुआ हें। । 
हेमराज हंस  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दादू भांगर भइला होइ गा।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दादू भांगर भइला होइ गा।:     दादू भांगर भइला होइ गा।  उज्जर तक मटमइला होइ गा।                                  हम जेही बज्जुर का मान्यन  फाट  के चइला  चइला गा।...

शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

दादू भांगर भइला होइ गा।

   दादू भांगर भइला होइ गा। 

उज्जर तक मटमइला होइ गा। 
                               
हम जेही बज्जुर का मान्यन 
फाट  के चइला चइला गा। । 
हेमराज हंस      

बुधवार, 18 नवंबर 2015

धम्मन फट गा हरमुनिया का।

धम्मन फट गा हरमुनिया का। 
ह्यरा भाई कहूँ गुनिया का। । 
जे भाई चारा के सरगम से 
रंजे रह्य पूरी दुनिया का। । 
हेमराज हंस

मंगलवार, 17 नवंबर 2015

पुलिस जाना थी जेबकतरा आय।

पुलिस जाना थी जेबकतरा आय। 
हमरे समाज का खतरा आय। । 
तउ सलामी ठोक रही ही 
वा  राजनीत का रकरा आय। । 
हेमराज हंस 

रविवार, 15 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बड़े जबर संगठन हें

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बड़े जबर संगठन हें: बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत।  तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। ।  हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।: जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।  सुदिन देख ह्यराय चलें जब बिटिया का काज। ।  जब बिटिया का काज जबर है दइजा  नाहर।  सुन दहेज़ का भाव थूंक...

KAVI SAMMELAN - UMARIA - 29.06.2025