यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 10 जनवरी 2016

bagheli doha ओखे जिव का ब्याध। ।

बिन  गोनरी गगरी धरे रही प्यास का साध। 
तोहरे निता श्रृंगार रस ओखे जिव का ब्याध। । 
हेमराज हंस 

शनिवार, 9 जनवरी 2016

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli doha

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli doha: गाँव  गाँव आमै लगा जबसे य अख़बार।  मिर्रा तक जानैं लगा सब आपन अधिकार।  ।  हेमराज हंस  जय हिन्द

bagheli doha

गाँव गाँव आमै लगा जबसे य अख़बार। 
मिर्रा तक जानैं लगा सब आपन अधिकार। । 
हेमराज हंस 
जय हिन्द 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । हेमराज हँ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । हेमराज हँ...:                   बघेली मुक्तक  ------------------------------- कोऊ आपन उपलब्धी गिनाउथै।  कोउ आपन राज गददी गिनाउथै।  ।  रटे है वा मुख...

दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । हेमराज हँस

                  बघेली मुक्तक 
-------------------------------
कोऊ आपन उपलब्धी गिनाउथै। 
कोउ आपन राज गददी गिनाउथै। । 
रटे है वा मुखागर की को को रात के आबा 
दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । 
हेमराज हँस 

मंगलवार, 5 जनवरी 2016

BAGHELI-कब तक होई फुरा जमोखी। ।

केतू भाई अबै समोखी। 
कब तक होई फुरा जमोखी। । 
उइं मारय हमरे जमान का 
औ हम बुद्ध कै शिक्षा घोखी। । 
हेमराज हंस 

दोस्ती के नाम पे ग़द्दारी की है। ।

जब जब हमने यारी की है। 
तो  उसने मक्कारी की है। । 
चाहे हो कारगिल य पठानकोट 
दोस्ती के नाम पे ग़द्दारी की है। । 
हेमराज हँस

रविवार, 3 जनवरी 2016

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

हम दयन नये साल कै बधाई। हेमराज हँस

हम दयन नये साल कै बधाई। 
फलाने कहिन तोहई लाज नही आई। । 
कुटिआ के खुंटिआ का कलेण्डर बदला है 
पै अबहूँ धरी ही टुटही चार पाई। । 
हेमराज हँस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।: दरबारन मा चर्चा ही कम्पूटर इंटरनेट के।   खरिहनन मा मरै किसनमा फन्दा गरे लपेट के ।   ।   प्रेमचन्द के होरी का उइं उँगरी धरे बताउथें  द्या...

बुधवार, 30 दिसंबर 2015

द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।

दरबारन मा चर्चा ही कम्पूटर इंटरनेट के।  
खरिहनन मा मरै किसनमा फन्दा गरे लपेट के।  ।  
प्रेमचन्द के होरी का उइं उँगरी धरे बताउथें 
द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के ।  ।  
हेमराज हंस   

सोमवार, 28 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस: बघेली मुक्तक  उइ कुरसी का खेल  अक्कड़ बक्कड समझा थें।  जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। ।  चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा  हमरे लो...

हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस

बघेली मुक्तक 
उइ कुरसी का खेल  अक्कड़ बक्कड समझा थें। 
जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। । 
चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा 
हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । 
हेमराज हँस 

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...