भद्रा मा आसौं परा राखी का तेउहार।।
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मंगलवार, 13 सितंबर 2022
रविवार, 14 अगस्त 2022
बघेली मुक्तक
जानी थे सुमर आय पै बराह मानी थे।
काहू कै नमूंजी करब गुनाह मानी थे।।
गंगा कबेरी रेबा त मंत्र आंय नहात के
हम बांस बिरबा तक का बाह मनीथे।।
शनिवार, 23 अप्रैल 2022
दानी ता दानी उंइ सूम तक का जानाथें।
दानी ता दानी उंइ सूम तक का जानाथें।
बड़े अंतरजामी हें बाथरूम तक का जानाथैं।। उनसे खुई कइ के सुंग कण्व न बनाबा
उंई मंत्र पिंडदान से हूम तक का जानाथैं।।
बुधवार, 6 अप्रैल 2022
मंगलवार, 5 अप्रैल 2022
गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस
गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस।
देश के माटी मा जन जन के नारा अस।।
गांधी पढाये जइहैं सब दिन इसकूल मा
भारत के भभिस्स का गिनती औ पहाड़ा अस।।
रविवार, 3 अप्रैल 2022
कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है
कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है।
कोउ दुसमन से त कोउ करीबी से दुखी है।।
या दुनिया मा सुख संच हेरे नही मिलय
कोऊ मिया से ता कोउ बीबी से दुखी है।।
रविवार, 27 मार्च 2022
उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय
उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय ।
औ उनखे घर मा जनाउर पइदा होंय ।।
एक बूंद पानी न बरखै खेत मा
औ सीधे धान नही चाउर पइदा होंय।।
रविवार, 16 अगस्त 2020
रविवार, 9 अगस्त 2020
जो भउजाई बांख न होय
भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।
बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। ।
देस कै जनता नेम प्रेम भाई चारा से रहि तो लेय
जो हमरे देस मा नफरत कै कारी अँधिआरी पाख न होय। ।शनिवार, 8 अगस्त 2020
कबिता बड़ी लोलार Rimhi kavita hemraj hans
हमरे भारत देस मा कबिता बड़ी लोलार।
छत्रसाल राजा बने कबिता केर कहार।।
मन माही माहुर भरे Rimhi kavita hemraj hans
मन माही माहुर भरे मुंह मिसरी अस मीठ।
अपना के बेउहार का लगै कहूं न डीठ।।
करोना
पूरी दुनिया कइ रही जउने रंझ बिलाप।
कारन लुच्चा चाइना गुड़ का कोल्हू बाप।।
बिस्व मा हाहाकार है धरी मउत कै सीन ।
वाखर जुम्मेदार है घिनहा घाती चीन।।
दुस्ट चाइना बिस्व मा छोड़िस अइसा गाज।
त्राहि त्राहि जनता करै किलपै सकल समाज।।
जातिवाद ह्याराथें रिमही बघेली
उंइ भस्मासुर मा जातिबाद ह्यारा थें।
राजनीत बोमैं का रेती मा खाद ह्याराथें।।
बड़े गभुआर हें लोकतंत्र के लुच्चा
कुलटन के बस्ती मा मरजाद ह्याराथें।।
बेसाही सरकार का रुतबा Rimhi kavita
बेसाही सरकार का रुतबा नही रहे।
जइसा कठपुतरी मा सुतबा नही रहै।।
भले पूजा जिंद बरम बीस ठे खबीस
पै हनुमान चलीसा बांचा ता भुतबा नही रहै।।
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