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शनिवार, 2 मई 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आपन सहज बघेली आय।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आपन सहज बघेली आय।: बघेली आपन सहज बघेली आय। गाँव के क्वारा कै खेली आय। । विंध्य हबै ज्याखर अहिवात ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। । हेमराज हंस --957528...
आपन सहज बघेली आय।
बघेली
आपन सहज बघेली आय।
गाँव के क्वारा कै खेली आय। ।
विंध्य हबै ज्याखर अहिवात
ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। ।
हेमराज हंस --9575287490
शुक्रवार, 1 मई 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।: बघेली कविता मजूर [बघेली कविता ] हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : -----------------------------------मजूर हम मजूर ब...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : -----------------------------------
मजूर हम मजूर ब...: ----------------------------------- मजूर हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। । माघ पूस क...
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मजूर
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।
माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया।
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। ।
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहू हरवाही।
खटत खेत खरिहान खान म काहू ताके पाही। ।
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ।
कहै क त गंगा जल अस है पबरित हमार पसीना।
तउ ''कर्मनाशा ''अस तन है पीरा पाले सीना।।
बड़े लगन से देश बनाई मेहनत करी आकूत।
मेहनत आय गीता रामायन हम हन तउ अछूत। ।
छुआछूत का हइया दाबे देस समाज का टेटुआ।
हम मजूर -----------------------------
हम पसीना से देस का सीच्यन हमरै किस्मत सूखी।
देस कोष मा भरयन लक्ष्मी घर कै लक्ष्मी भूखी। ।
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी।
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। ।
फूका परा है हमरे घर मा तउ हम गाई फगुआ। ।
हम मजूर ------------
हमिन बनायन लालकिला खजुराहो ताज महल।
हमिन बनायन दमदम पालम सुघर जिहाज महल। ।
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया।
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। ।
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ।
हम मजूर ---------
''कर्म प्रधान विश्व करी राखा ''कहि गें तुलसी दास।
कर्म देव के हम विश्कर्मा देस मा पाई त्रास। ।
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ।
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। ।
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ।
हम
बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार।
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। ।
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून।
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। ।
न्याय मांगे मा काल्ह मारे गें दत्ता नियोगी रघुआ।
भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला।
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। ।
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान।
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। ।
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ।
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। ।
हेमराज हंस ----------9575287490
बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार।
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। ।
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून।
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। ।
न्याय मांगे मा काल्ह मारे गें दत्ता नियोगी रघुआ।
भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला।
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। ।
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान।
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। ।
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ।
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। ।
हेमराज हंस ----------9575287490
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।
बघेली कविता
मजूर [बघेली कविता ]
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।
माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया।
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। ।
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहू हरवाही।
खटत खेत खरिहान खान म काहू ताके पाही। ।
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ।
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।
माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया।
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। ।
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहू हरवाही।
खटत खेत खरिहान खान म काहू ताके पाही। ।
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ।
''कर्म प्रधान विश्व करी राखा ''कहि गें तुलसी दास।
कर्म देव के हम विश्कर्मा देस मा पाई त्रास। ।
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ।
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। ।
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ।
कर्म देव के हम विश्कर्मा देस मा पाई त्रास। ।
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ।
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। ।
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ।
हम पसीना से देस का सीच्यन हमरै किस्मत सूखी।
देस कोष मा भरयन लक्ष्मी घर कै लक्ष्मी भूखी। ।
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी।
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। ।
फूका परा है हमरे घर मा तउ हम गाई फगुआ। ।
हम मजूर ------------
देस कोष मा भरयन लक्ष्मी घर कै लक्ष्मी भूखी। ।
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी।
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। ।
फूका परा है हमरे घर मा तउ हम गाई फगुआ। ।
हम मजूर ------------
हमिन बनायन लालकिला खजुराहो ताज महल।
हमिन बनायन दमदम पालम सुघर जिहाज महल। ।
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया।
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। ।
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ।
हमिन बनायन दमदम पालम सुघर जिहाज महल। ।
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया।
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। ।
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ।
कहै क त गंगा जल अस है पबरित हमार पसीना।
तउ ''कर्मनाशा ''अस तन है पीरा पाले सीना।।
बड़े लगन से देश बनाई मेहनत करी आकूत।
मेहनत आय गीता रामायन हम हन तउ अछूत। ।
छुआछूत का हइया दाबे देस समाज का टेटुआ।
हम मजूर ---
तउ ''कर्मनाशा ''अस तन है पीरा पाले सीना।।
बड़े लगन से देश बनाई मेहनत करी आकूत।
मेहनत आय गीता रामायन हम हन तउ अछूत। ।
छुआछूत का हइया दाबे देस समाज का टेटुआ।
हम मजूर ---
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। ।
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून।
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। ।
न्याय मांगे मा काल्ह मारे गें दत्ता नियोगी रघुआ।
हम मजूर ---------------------------------
भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला।
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। ।
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान।
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। ।
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ।
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। ।
हेमराज हंस ----------9575287490 bagheli sahitya
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,: बघेली गजल साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै। अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। । साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है , साहित्त खउटही ...
साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
बघेली गजल
साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै।
अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। ।
साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
साहित्त खउटही का कबरी नहीं कहै। ।
''राम'' के दरबार तक वाखर धाक ही ,
पै कबहू अपने मुंह से ''शबरी''नही कहै। ।
उई घायल से पूंछा थें कि कइसा लगा थै
अस्पताल पहुचामै का खबरी नहीं कहै। ।
रूपियन के निता कबहू कविता नही लिखै
हंस काही कोउ दुइ नम्बरी नहीं कहै। ।
हेमराज हंस --9575287490
गुरुवार, 23 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA: ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल।
BAGHELI SAHITYA: ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल।: दोहा ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल। वा तोहरे अत्याचार का सकी न हरबी भूल। । हेमराज हंस ----9575287490
BAGHELI SAHITYA: अहिल्या पुनः पाषाण होना चाहती है।
BAGHELI SAHITYA: अहिल्या पुनः पाषाण होना चाहती है।: ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मुक्तक लोक मुक्तक मेला --45 --शब्द मुक्तक...
BAGHELI SAHITYA: दोहा शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार। ईश्वर को लेन...
BAGHELI SAHITYA: दोहा शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार। ईश्वर को लेन...: दोहा शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार। ईश्वर को लेना पड़ा परसुराम अवतार। । हेमराज हंस
मंगलवार, 21 अप्रैल 2015
सोमवार, 20 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गर फांसी अस।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गर फांसी अस।: बघेली हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गर फांसी अस। तुम राहू केतू बन बइठया औ हम पुनमासी अस। । हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।: मुक्तक दरबारन मा चर्चा ही कम्प्यूटर इंटरनेट के। औ खेतन मा मरै किसनमा फंदा गरे लपेट के। । केत्तव निकहा बीज होय पै पनपै नही छहेल...
उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।
मुक्तक
दरबारन मा चर्चा ही कम्प्यूटर इंटरनेट के।
औ खेतन मा मरै किसनमा फंदा गरे लपेट के। ।
केत्तव निकहा बीज होय पै पनपै नही छहेला मा
उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।
हेमराज हंस -----------9575287490
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