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गुरुवार, 14 मई 2015

सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।

मुक्तक 

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उई  प्रगतिशील हैं तउ डाईन  हेरा थें। 
सूर्पनखा के  नाक कै डिजाइन हेरा थें।।
जब से मड़ये  तरी सारी से बोलियाँन  हें 
तब से उनही साढ़ूभाईन  हेरा  थें। । 
हेमराज हंस -----9575287490 

सोमवार, 11 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी: मुक्तक  ------------------------------------------- घिनहव   का नागा नही कहीं येही बड़प्पन मान कहा।  फलाने  कहा थें कि  हमहीं अकबर महा...

जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी

मुक्तक 

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घिनहव  का नागा नही कहीं येही बड़प्पन मान कहा। 
फलाने  कहा थें कि  हमहीं अकबर महान कहा। । 
जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी 
उई कहा थें हमू का भारत कै संतान कहा।।
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।: मुक्तक  अनमन अनमन सयान बइठ हे।  टन मन पीरा के बयान बइठ हे। ।  दोउ जून जुड़े जिव रोटी नही मिलै  आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।      ...

आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।

मुक्तक 

अनमन अनमन सयान बइठ हे। 
टन मन पीरा के बयान बइठ हे। । 
दोउ जून जुड़े जिव रोटी नही मिलै 
आंसू पी पी के अघान बइठ हे। । 
       हेमराज हंस 

सोमवार, 4 मई 2015

हेन किसानन के घर मा गरुड़ पुरान होथी। ।

मुक्तक ---------------------------------

समाज मा  दहेज़ कै भारी दुकान होथी। 
नींद नही आबै जब बिटिया सयान होथी। । 
उई कहिन तै देस से कि भागवत सुनबाउब 
हेन किसानन के घर मा गरुड़ पुरान होथी। । 
हेमराज हंस ----9575287490 
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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।: दोहा  जहाँ व्यवस्था ने कसी कस्तूरी घींच।  माणिक दादा ने कहा  उच्च कोटि के नीच। ।

माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।

दोहा 

जहाँ व्यवस्था ने कसी कस्तूरी  की घींच। 
माणिक दादा ने कहा  उच्च कोटि के नीच। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

रविवार, 3 मई 2015

हमरे ईमानदारी का रकवा रोज घटा थै।

मुक्तक 

हमरे ईमानदारी का रकवा रोज घटा थै। 
या खबर बांच बाँच के करेजा फटा थै। । 
जब उनसे पूंछयन ता कहा थें फलाने 
चरित्र का प्रमाण पत्र थाने मा बटा थै। । 
हेमराज हंस -------9575287490 

शनिवार, 2 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।: शहीदन कै वंदना  ------------------------------------------------- धन्न धन्न सौ बेर धन्न य देस कै पावन माटी।  हमरे पुरखन का प्रताप औ ...

धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।

शहीदन कै वंदना 

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धन्न धन्न सौ बेर धन्न य देस कै पावन माटी। 
हमरे पुरखन का प्रताप औ भारत कै परिपाटी। । 
कहय लाग भारत माता धन्न बहिनी डोर कलाई का। 
जे सीमा मा संगीन लये दइन जीवन देस भलाई का। । 
धन्न कोख महतारी कै जे पूत दान दइन मूठी मा। 
मातृभूमि के देस प्रेम का दूध पिआइन घूंटी मा। । 
धन्न धन्न वा छाती का जेहि एकव है संताप नही। 
बलिदान पूत भा देस निता धन्न धन्न वा बाप कही। । 

धन्न धन्न वा येगुर काहीं  वा सेंदुर कै मांग धन्न। 
ज्याखर भा अहिवात अमर वा नारी केर सोहाग धन्न। । 

उई भाईन कै बांह धन्न मारिन सुबाहु मरीची अस। 
बइरी वृत्तासुर मरै का जे बन गें वज्र दधीची अस। । 
औ अपने अपने रक्तन से वन्दे मातरम उरेह दइन.। 
जब भारत माता मागिस ता उई हँसत निछावर देह दइन। । 

बोली हर हर महादेव कै बोल ऊचें सरहद्दी मा। 
औ बैरिन का मार भगाइन खेलै खेल कबड्डी मा। । 
धन्न उई अमर जबानन का जेहिं कप्फन मिला तिरंगा का। 
जब राख फूल पहुंची प्रयाग ता झूम उचा मन गंगा का। । 
ताल भैरवी देश राग तब गूंजी घाटी घाटी। 
धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देस कै पावन माटी। । 

गरजै लगे  सफ़ेद शेर औ बांधव गढ़ के हिरना। 
फूली नही समतीं बीहर औ केवटी के झिरना। । 
बीर सपूतन के उरांव मा डुबी गइया बछिया। 
बीर पदमधर के बलिदानव का खुब सुमिरै बिछिया। । 

बीर विंध्य कै सुनै कहानी नानी मुन्ना मुन्नी। 
गद्गद होइ गें चित्रकूट औ धार कुड़ी पयसुन्नी।।
अमरकंटक मा बिह्वल रेवा सुन के अमर कहानी। 
विंध पूत सीमा मा जाके बने अमर बलिदानी। । 
 
कलकल करत चली पछिम का दुश्मन कई दहाड़ी। 
सीना तानै'' नरो'' ''पनपथा'' औ" कैमोर' पहाड़ी। । 
तबहिंन हिन्द महा सागर मा बड़ बडबानाल धंधका। 
दुश्मन के भें ढ़ील सटन्ना हिन्दू कुश तक दंदका। ।  

गोपद बनास टठिया साजै औ सोन करै पूजा पाती। 
औ रेवा खुद धन्न होइ गई कइ के उनखर सँझबाती। । 
हे !उनखे तरबा का धूधुर हमरे लिलार का चन्दन बन। 
ओ कवि !तहू दे खून कुछू तबहिन होइ उनखर वंदन। । 
देस भक्ति जनसेवा बाली ही जिनखर परिपाटी। 
धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। । 

हेमराज हंस 9575287490 

















 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है: मुक्तक  रमुआ का पंचर रक्शा धरा है।  औ परछी मा छूँछ बक्सा धरा है। ।  उई कहा थे य विपक्ष कै साजिश आय  हमरे ठई भूख   का नक्शा धरा है....

हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है

मुक्तक 

रमुआ का पंचर रक्शा धरा है। 
औ परछी मा छूँछ बक्सा धरा है। । 
उई कहा थे य विपक्ष कै साजिश आय 
हमरे ठई भूख  का नक्शा धरा है.
हेमराज हंस --9575287490  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।: मुक्तक  अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।  गिरे के बाद भुइ मा गाज नही मिलै। ।  लोकतंत्र मा जनता जेही ठोकराउथी  ओही हरबी हेरे ताज नही म...

अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।

मुक्तक 

अब एक रूपया कै भांज नही मिलै। 
गिरे के बाद भुइ मा गाज नही मिलै। । 
लोकतंत्र मा जनता जेही ठोकराउथी 
ओही हरबी हेरे ताज नही मिलै। । 
हेमराज हंस --9575287490 

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...