बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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शनिवार, 27 अप्रैल 2024
छंद के लिखइया नारा लिखय लगें
शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
मैहर मा चमकत रहैं, राम नरेश आदित्य।
पीरा गावय मा कबव, करय कसर न शेष।
आंसू के राज कुमार हैं, कबिबर रामनरेश
।।
जिनखे लेखन मा हबै, शब्दन कै मरजाद ।
कविता सीधे हिदय से, करै करुन संबाद।।
पयसुन्नी अस सब्द का, जे पूजय दिनरात।
कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।
गीत ग़ज़ल कै आरती , दोहा कविता छंद।
आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।
शब्द ब्रह्म का रुप है, वर्ण धरै जब भेष।
मइहर मा एक संत हैं, पंडित रामनरेश।।
लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य।
मैहर मा चमकत रहैं, राम नरेश आदित्य।।
रविवार, 21 अप्रैल 2024
जउन मेंछा मा ही शान वा पूंछी मा नहीं ।।
बुधवार, 10 अप्रैल 2024
खखरी भुंडी तक किहिन,मानस का अपमान
जीबन के हर पक्ष का,जे दे सरल निदान।
खखरी भुंडी तक किहिन,मानस का अपमान।।
लगी रही जब देस मा, गरिआमै कै रयाव।
ता न किहा आलोचना, औ न दीन्हया ठयाव।।
डेंगू अउर मलेरिया, कह्या तु ऊल जलूल।
वा तोहरे अपमान का, सकब न हरबी भूल।।
हेमराज हंस
हिंआ कांगरेसी करैं, भाजपा केर प्रचार।
देखा अपने देस मा, प्रेम औ भाइपचार।
हिंआ कांगरेसी करैं, भाजपा केर प्रचार।।
हेमराज हंस
मंगलवार, 9 अप्रैल 2024
नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें
उइ बात बड़ी ठोस औ प्रमानिक बताऊ थें।
सामाजिक जहर का टानिक बताऊ थें।।
जब उनही देखाय लाग दाई का माइक
ता उइ घोर नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें। ।
हेमराज हंस
सोमवार, 8 अप्रैल 2024
नये साल सम्बत् का आजु शुभ पर्व है।
शनिवार, 6 अप्रैल 2024
सगले अइगुन माफ
लोकतंत्र के ओंठ
भले लगा लें जोर सब, उनही दई तिलाक।
करके चूर घमंड का, टोरिहै राम पिनाक।।
चाहे कोउ तिनगै भले, झूरै भांजै तेंग।
जे पूजिस ही अबध का अबकी पाई नेग।।
यतर करी मतदान हम, लगै अउर का ईर।
पूरे भारत मा बनै, आपन बूथ नजीर।।
देस हमीं जीबन दइस, औ सुबिधा चउकेठ।
हंस हमूं मतदान कइ,बनी नागरिक ठेठ।।
सब झंझट का छोड़ि के करी बोट भर पूर।
निकहा प्रत्याशी चुनी जात पात से दूर।।
लोकतंत्र आपन हबय, दुनिआ का लकटंट।
जनतै लड़िअमफूस ही ,जनता ही श्री मंत।।
अपना से बिनती हिबय, डारी सब जन बोट।
जिव निछोह बिदुरा सकैं, लोकतंत्र के ओंठ ।।
गुरुवार, 28 मार्च 2024
महल मड़इया से रंगदारी भूल गा।
महल मड़इया से रंगदारी भूल गा।
जउन दइस रहा वा उधारी भूल गा।।
जब से चुनाव कै घोसना भै देस मा
तब से मुँह झुरान है गारी भूल गा।।
बुधवार, 13 मार्च 2024
BAGHELI KAVITA
बिटिया
सोमवार, 29 जनवरी 2024
मेरी पसंद
बुधवार, 24 जनवरी 2024
रविवार, 21 जनवरी 2024
गुरुवार, 18 जनवरी 2024
गांधी बादी देंह मा, बाम पंथ के प्रान।।
हे जग जननी सारदे, मै मांगों कर जोर।
भारत मा सुख संच कै,पबन बहै चहुओर।।
नबा साल मा सब जने, रहैं निरोग प्रसंन्न।
सब काही रोजी मिलय, खेतन मा हो अन्न।।
राघव मरजादा दिहिन, औ माधव जी कर्म।
दुइ लीखन मा चलि रहा,सत्य सनातन धर्म।।
राम देस कै आतिमा, राम देस के प्रान ।
हमरे भारत देस कै, रामै से पहिचान ।।
अबधपुरी मा पूर भा, मंदिर का निरमान।
सदिअन के बलिदान का, अबै मिला है मान।।
केत्तेव पुरखा गुजरिगें लये हिदय मा हूक।
आजु तृप्त भै आतिमा लउलितिया कै भूख।।
जय जय पाबन अबध कै जय जय भारत बर्ष।
मंदिर के निरमान का जन जन मा है हर्ष।।
आदि पुरुस जहाँ मनू भें, करिन सृष्टि निरमान।
अजोध्या पाबन धाम है , मनुज का मूल अस्थान।।
किहिस सनातन सब दिना, जन मंगल का गान।
प्राणी मा सद भावना, बिस्व केर कल्यान।।
अपने भारत देस मा कबिता बड़ी लोलार।
छत्रसाल राजा बने कबिता केर कहार।।
नेता जी के नाव से उभरै चित्र सुभाष।
अब के नेता लगि रहें जइसा नहा मा फांस।।
बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत।
तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। ।
साहब सलाम औ पैलगी, गूंजै राम जोहर।
अबहूँ अपने गाँव मा, बचा हबै बेउहार। ।
ओतुन परबस्ती करा , जेतू कूबत पास।
परोपकार मा चला गा ,भोले का कैलास।।
देखा केतू गहिर है लोकतंत्र का कुण्ड।
राजकुमार जयंत तक बनगे कागभुसुण्ड।।
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कहिस कुलांचै धरम का, दिहिस आतिमा रोय।
जइसा कउनव बाप कै, बिटिआ भागी होय।।
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जउनै दल हेन न करी, धरम कै जय जयकार।
बामपंथ अस होइ जई, वाखर बंटाधार।।
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राजनीत कै नीचता, देखि के जुग चउआन।
गांधी बादी देंह मा, बाम पंथ के प्रान।।
बब्बा जी कीन्हिन रहा खसरा केर अपील।
नाती तक पेसी चली बिदुराथी तहसील।।
*********हेमराज हंस **************
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कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...