यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 30 मार्च 2015

पता चला तार मा कटिआ फसाउथें। ।

मुक्तक 

उई अच्छे दिन का घटिआ बताउथें। 
बुलन्द दरबाजा का टटिआ बताउथें। । 
जे बात करत रहें हैलोजन के अजोर कै ,
पता चला तार मा कटिआ फसाउथें। । 
                                हेमराज हंस 

गुरुवार, 26 मार्च 2015

गाँव गाँव मा जबा देबारे

गाँव गाँव मा जबा देबारे 

गाँव -गाँव मा जबा देबारे पंडा दे थें हूम। 
लोक धरम कै चैत मा चारिव कईतीधूम। । 

आठैं   अठमाइन   चढ़ै  खेर  खूंट  का   भोग। 
जलसा का कलसा धरे ''राम जनम का जोग ''। ।  

बाना खप्पड़ कालका जबा देवारे हांक। 
बिन प्रचार के चल रही लोक धर्म कै धाक। । 

                                       हेमराज हंस 

भारत रत्न अटल जी

भारत रत्न अटल  जी 

हे'' भारत रत्न'' भया सम्मानित पाके अटल बिहारी का। 
जुग गायी तोहार गुन गाथा हाथे धरे चिन्हारी का। । 
लोकतंत्र का मंदिर तक अपने मूरत से कहय लाग ,
देखा अपने अंतस का पुन देखा अटलबिहारी का। । 

                                               हेमराज हंस  

बुधवार, 25 मार्च 2015

बघेली मुक्तक 

सत्ता कबहू गभुआर नही होय। 
जइसा पूर सत्त अख़बार नही होय। । 
सरमन सब दिन मारे गे हें शब्द 

BAGHELI POEM

मुक्तक 

उनखे गम्मदारी मा गरमी कहाँ से आय गै। 
सभ्भ घराना मा बेसरमी कहाँ से आय गै। । 
कमल   के   तलबा  मा  बेसरम  के  फूल ,
कड़क मिजाजी मा नरमी कहाँ से आय गै। । 
                      
                                    हेमराज 

मंगलवार, 24 मार्च 2015

नंगई से नही बड़प्पन से नापा।

बघेली मुक्तक 

नंगई     से     नही    बड़प्पन      से      नापा। 
तुंहु      अपने    सीना   का छप्पन से नापा। । 
देस    देखे  बइठ  है  ''नहुष ''   के अच्छे दिन 
पै वाखर या अर्थ नही तुम बाल्मीक का वीरप्पन से नापा। । 
                                             
                                              हेमराज 

वा पुरखन कै थाती ,धन्नासेठ का कउरा न होय। ।

बघेली मुक्तक 

भुँइ   हमार  मंदिर आय  , भूत का चउरा न होय। 
वा पुरखन कै थाती  ,धन्नासेठ का कउरा न होय। । 
किसानन    का   धरती   माता   से  कम    नही, 
लीलारे का चन्दन आय देंह का खउरा न होय। ।  

                                             हेमराज 

मंगलवार, 17 मार्च 2015

हाय !!दइव !या का किहा कहि के गिरा किसान। ।

दोहा 

पाथर  परिगा   फसल मा   अब  भा मरे बिहान। 
हाय !!दइव !या का किहा कहि के गिरा किसान। ।

करहा  आमा  नीझरि  गा  ठूठ  ठाढ़  मउहार। 
चौपट होइ गै फसल सब अइसा मारिस वार। ।   

टप टप अँसुआ बहि रहें खेतिहर परा सिकिस्त। 
खाद बीज का ऋण चढ़ा औ टेक्टर कै क़िस्त। । 


हेमराज 

रविवार, 15 मार्च 2015

गुरुवार, 12 मार्च 2015

बघेली क्षणिका

 बघेली क्षणिका 

सत्ता साहित्य से सब दिन  अकड़ा रहा है। 
एहिन से  उनखर  छत्तीस का आकड़ा रहा है.। । 

हेमराज  


बड़े ललत्ता हया फलाने।

मुक्तक 

बड़े ललत्ता हया फलाने। 
तास के पत्ता हया फलाने। । 
हम तोहइ साहित्य मान्यन तै 
पै तुम सत्ता हया फलाने। । 

हेमराज   

समय काहू का सगहा नही भा। ।

मुक्तक 

करिआरी अस पगहा नही भा। 
फ़ौज मा भर्ती रोगहा नही भा। । 
उनसे जाके कहि द्या भूभुर न करै 
समय काहू का सगहा नही भा। ।

हेमराज http;//baghelisahitya

बुधवार, 11 मार्च 2015

चला फलाने तरबा चाटी।

मुक्तक 

चला फलाने तरबा चाटी।
 औ पुन बइठे नक्क्स काटी। । 
चापलूस   के   परम्परा  कै 
सदियन से आपन परिपाटी। । 

हेमराज http'//baghelisahitya

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...