यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 14 अगस्त 2022

बघेली मुक्तक

जानी थे सुमर आय पै बराह मानी थे। 
काहू कै नमूंजी करब गुनाह मानी थे।। 
गंगा कबेरी रेबा त मंत्र आंय नहात के 
हम बांस बिरबा तक का बाह मनीथे।। 

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

दानी ता दानी उंइ सूम तक का जानाथें।

दानी ता दानी  उंइ सूम तक का जानाथें। 
बड़े अंतरजामी हें बाथरूम तक का जानाथैं।। उनसे खुई कइ के सुंग कण्व न बनाबा 
उंई मंत्र पिंडदान से हूम तक का जानाथैं।। 

बुधवार, 6 अप्रैल 2022

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

चुटकी भर के ज्ञान का

चुटकी भर के ज्ञान का झउआ भर परमान। 
तउअव अपने आप का हंस कहै बिद्वान।। 

गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस

गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस। 
देश के माटी मा जन जन के नारा अस।। 
गांधी पढाये जइहैं  सब दिन इसकूल मा 
भारत के भभिस्स  का गिनती औ पहाड़ा अस।। 

रविवार, 3 अप्रैल 2022

कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है

कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है। 
कोउ दुसमन से त कोउ करीबी से दुखी है।। 
या दुनिया मा सुख संच हेरे नही मिलय 
कोऊ मिया से ता कोउ बीबी से दुखी है।। 

रविवार, 27 मार्च 2022

उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय

उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय ।
औ उनखे घर मा जनाउर पइदा होंय ।।
एक   बूंद   पानी   न   बरखै  खेत मा
औ सीधे धान नही चाउर पइदा होंय।।

रविवार, 16 अगस्त 2020

रविवार, 9 अगस्त 2020

जो भउजाई बांख न होय

 
भाई  अस  दूसर  नही  जो  भउजाई  बांख  न  होय। 
बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । 
देस कै   जनता  नेम  प्रेम  भाई चारा  से  रहि  तो  लेय 
जो हमरे देस मा नफरत कै कारी  अँधिआरी पाख न होय। ।

शनिवार, 8 अगस्त 2020

कबिता बड़ी लोलार Rimhi kavita hemraj hans

हमरे भारत देस मा कबिता बड़ी लोलार। 
छत्रसाल राजा बने कबिता केर कहार।। 

मन माही माहुर भरे Rimhi kavita hemraj hans

मन माही माहुर भरे मुंह मिसरी अस मीठ। 
अपना के बेउहार का लगै कहूं न डीठ।। 

करोना

पूरी दुनिया कइ रही जउने रंझ बिलाप। 
कारन लुच्चा चाइना गुड़ का कोल्हू बाप।। 

बिस्व मा हाहाकार है धरी मउत कै सीन ।
वाखर जुम्मेदार है घिनहा घाती चीन।। 

दुस्ट चाइना बिस्व मा छोड़िस अइसा गाज। 
त्राहि त्राहि जनता करै किलपै सकल समाज।। 

जातिवाद ह्याराथें रिमही बघेली

उंइ भस्मासुर मा जातिबाद ह्यारा थें।
राजनीत बोमैं का रेती मा खाद ह्याराथें।। 
बड़े गभुआर हें लोकतंत्र के लुच्चा 
कुलटन के बस्ती मा मरजाद ह्याराथें।। 

बेसाही सरकार का रुतबा Rimhi kavita

बेसाही सरकार का रुतबा नही रहे। 
जइसा कठपुतरी मा सुतबा नही रहै।। 
भले पूजा जिंद बरम बीस ठे खबीस 
पै हनुमान चलीसा बांचा ता भुतबा नही रहै।। 

बेल पत्र गंगा जली rimhi kavita hemraj hans

बेल पत्र गंगा जली चाउर चंदन रास। 
शंकर जी पूजैं लगा भारत सामन मास।। 

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...