मुक्तक
भईस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे।
लिपिस्टिक लगामै का ओठ ख़रीदा थे। ।
दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा
उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...