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शनिवार, 26 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।: bagheli muktak  भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।  एहिन से  ओही सइघ नही अउना पउना है। ।  पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी  दु...

अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।

बघेली मुक्तक 
देस टकटकी लगाये है काले धन के आस कै। 
अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। । 
घुटकी भर खाय के दिल्ली डकारा थी 
देस का बताउथी महातिम उपास कै। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।

bagheli muktak 

भले जीभ दार है पै मकुना मउना है। 
एहिन से  ओही सइघ नही अउना पउना है।। 
पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी 
दुधारु लोकतंत्र के पडउना का थमाउना है। । 
हेमराज हँस       

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA गुण्डा घर अस बखरी द्याखा। ।

समय कै घूमत चकरी द्याखा।
गुंडन कै पैपखरी द्याखा। । 
पीपर अस आक्सीजन देतीं 
गुण्डा घर अस बखरी द्याखा। । 
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...: गरीबन का कउनव दल नही होय।  ओखे समिस्या का हल नही होय। ।  वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय  पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।  हेमराज ह...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...: गरीबन का कउनव दल नही होय।  ओखे समिस्या का हल नही होय। ।  वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय  पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।  हेमराज ह...

bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।

गरीबन का कउनव दल नही होय। 
ओखे समिस्या का हल नही होय। । 
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय 
पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। । 
हेमराज हंस

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHEKI MUKTAK

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHEKI MUKTAK: टी. वी मा सभ्भदारन का नमूना देख ल्या।  जुज्बी नही दोउ जूना देख ल्या।   ।  जउन अड़सठ साल से लगाबा जा रहा है  उनखे बेलहरा का चूना देख ल्या।...

BAGHEKI MUKTAK

टी. वी मा सभ्भदारन का नमूना देख ल्या। 
जुज्बी नही दोउ जूना देख ल्या।  । 
जउन अड़सठ साल से लगाबा जा रहा है 
उनखे बेलहरा का चूना देख ल्या। । 
हेमराज हंस 

शनिवार, 5 दिसंबर 2015

देत्या दोख अहीर का। .. HEMRAJ HANS

अबहूँ नही नसान कुछू कइ ल्या पता कबीर का। 
वध घर का लाइसेन्स बनाउत्या देत्या दोख अहीर का। .. 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।: हम करी चेरउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा।   तुम बइठे नक्कस काटा औ सब जन रहैं कलेष मा। ।  हे अकरमन्न हे कामचोर सब काँपैं तोहरे दांव ...

हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।

हम करी चेरउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा। 
 तुम बइठे नक्कस काटा औ सब जन रहैं कलेष मा। । 
हे अकरमन्न हे कामचोर सब काँपैं तोहरे दांव से। 
कड़ी मशक्कत के कर्ता तक भागै तोहरे नांव से। । 
तुमसे सब है कारबार जस धरा धरी है शेष मा। 

हे चापलूस चउगिर्दा हेन तोहरै तोहार ता धाक हिबै। 
तोहरेन चमचागीरी से हमरे नेतन कै नाक हिबै। । 
तुम कलजुग के देउता आहू अब माहिल के भेष मा। 

हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम। 
बड़ा मजा पउत्या है जब आने कै करा नमूजी तुम। । 
गद्गद होय तोहार आत्मा जब कोउ परै कलेस मा। 

तुम  'मनगवां के कुकूर कस ' चारिव कइती छुछुआत फिरा। 
मुँह देखी मा म्याऊ म्याऊ औ पीठ पीछ गुर्रात फिरा। । 
सगले हार तोहार असर है देस हो य परदेस मा। 

केत्तव होय मिठास चाह छिन भर मा माहुर घोर द्या। 
तुम भाई हितुआ नात परोसी का आपुस मा फोर द्या। । 
तोहरे भीरुहाये मा पति -पत्नी तक चढ़ गें केस   मा। 

हे मंथरा के भाई तुम जय हो हे नारद के नाती। 
नाइ दुआ करत बागा बे डाक टिकस कै तुम पाती। । 
हे राम राज के 'धोबी 'तुम घुन लाग्या अवध नरेश मा
हम करी चेराउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा। । 
 हेमराज हंस

रविवार, 29 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।: हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।  आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें। । एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा  उइ पुनि के &#3...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।: हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।  आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें। । एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा  उइ पुनि के &#3...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।: उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।  भूखी गंडाही कै अकरास नापा थें। । पखना जमे का घमण्ड देख ल्या  ''सम्पाती ''सुरिज का अक...

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...