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गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024

कवि सम्मलेन REWA 09.10.2024

 

शिव दुर्गा मंदिर समिति अनंतपुर रीवा मप्र के तत्वावधान में श्री दुर्गोत्सव के पावन प्रसंग में विशिष्ठ  कवि सम्मलेन का सह भागी होने का अवसर प्राप्त हुआ। जिसमे देश के ख्याति लब्ध विद्वान मनीषीसुधि  श्रोताओ के समक्ष वाणी पवित्र करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सर्व श्री रामसिया शर्मा जी, श्री दुर्गा प्रसाद चतुर्वेदी जी ,श्री  RP तिवारी जी , राष्ट्रिय कवि व्यंग्यकार रविशंकर चतुर्वेदी जी , श्री मति विमलेश जी सुश्री स्नेहा त्रिपाठी खनक जी डॉ रामसरोज शांतिदूत जी भृगुनाथ पांडेय भ्रमर जी हेमराज हंस भेड़ा। गरिमामयी संचालन आदरेय भ्रमर जी ने किया। संस्था के सम्माननीय सदस्यों का सादर आभार। कार्यक्रम में श्री सेवा राम त्रिपाठी जी जैसेशिक्षा विद  विद्वान की उपस्थिति से सुवासित होता रहा। श्री दुर्गा प्रसाद चतुर्वेदी जी का काव्यपाठ  न सुनपाने का मन में मलाल और अपराध बोध है। 

प्रणाम -- रीवा  धन्यवाद --- रीवा आभार रीवा 

 

सोमवार, 7 अक्टूबर 2024

मंचीय मुक्तक

मुक्तक खंड 
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फलाने कै भंइसी निकहा पल्‍हाथी।
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पढ़इया स्‍कूल छूरा लइके अउथें।
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हम जेही मांन्‍यान कि बहुतै बिजार है।
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चेतना के देंह का उंइ झुन्‍न न करै।
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पियासा परा हम, हेन नल क देख्‍यान।
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काल्‍ह बतामैं गंगा भट्‌ट।
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शांती क पाठ लड.इया से पूंछत्‍या है ।
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बलफ फियुज होइगा झालर पकड.के।
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नल तरंग बजाउथें,बजबइया झांझ के।
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हमरेव गाँव मा  हरिहश्चंद हें 
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उनक कइ सरद अस पुनू 
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अब सेतै लागै माँख राम दै। 
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भइस अबै बिआन नही,उंइ सोठ खरीदाथें।
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घिनहौ क नागा नही कही,येही बड़प्‍पन मान कहा ।
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उइ बड़े प्रगति सील हें तउ डाइन हेराथें 
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समाज मा दहेज कै जबर दुकान होथी। 
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पुलिस जाना थी जेब कतरा आय। 
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हम फुर कहीथे ता कान उनखर बहा थै 
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उबर खाबर अस चरित्त का सभ्भ नीक 
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जनता देख रही ही नाटक राज नित के खादी का 
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हम उनही दिल दइ  दीन्हन अब गुर्दा मांगा थें। 
अस्पताल   से   हरबी   छुट्टी      मुर्दा मांगा थें।। 
जे बिचार से हें बीमार औ जनता के नजरन से गिरे  
उइ जादू टोना झरबामै  का उर्दा मांगा थें। । 
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हम घिनहव का नागा नहीं कही येही बड़प्पन 
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उइ बड़े अहिंसा बादी हें  पै रहा थें नींद मा। 
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काहू का पिसान से , काहू का चोकर से चला थै। 
काहू का एक्का से ता काहू  का जोकर से चला थै। । 
वा  महतारी केहाथ कै रोटी भला का जानै ------
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हाथे माही थामें माउस ----
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चला फलाने दारू बेंची-------
 नदिया खोदी बारू बेंची। 
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चमचागीरी जेखे कलम कूंची माँ नहीं। 
वाखर नाम अपना के सूची म नहीं। 
देस कै जनता जनाथी नीक के 
जउन मेंछा माहि शान वा पूँछी मा नहीं। । 
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हमरे ईमानदारी का रकबा रोज घटाथै। 
सुन के समाचार करेजा फटा थै। । 
जब उनसे पुछयन ता कहा थें फलाने 
चरित्र का प्रमाणपत्र थाने मा बटा थै। । 
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शुक्राचार घुसे तुम्मी मा। 
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तुहूं अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या। 
देस के नोन पानी से गद्दारी देख ल्या। । 
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चुड़इलिन के भाव अबै निक के ठण्डन नहीं 
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खादी से कहाँ चूक भै  या चरखा बताउथें। 
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जब से मुड़े मा  कउआ बइठ है।  
कुसगुन लये बउआ बइठ है। । 
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आसव बादर खूब दहाड़ें। 
उछली पोखरी नरबा बाढ़ें। । 
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सिंघासन बाले बोरिया लये बइठ हें। 
कजहा नहीं आयें पै घोड़िया लये बैठ हें। । 
जेही रात के सपन मा जूजू देखा थै 
उइ बामी ठइ  दूध कै खोरिया लये  बइठ हें। । 
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हथौड़ा चला गा संसी चली गै। 
मछरी के लोभ मा  बंसी चली गै। । 
जब से जेपी औ लोहिया गें देस से 
हमरे बिपच्छ कै बड़मंसी चली गै। । 
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उइ जेहि अजनास कहा थें हमरे खातिर पोहगर है। 
भइया परदनिया बाला अपने रिबाज का मोहगर है। । 
उइ चाटैं महिपर लगाय के घिनहे भाव बिदेसिन के 
हमही अपने देस कै माटी सबसे निकही छोह्गार है। । 
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अबहूँ कउनव सक है हमरे सेंस मा। 
उइ दारू बेचा थें दूध के लाइसेंस मा। । 
जब उन्ही रोक के तलासी लीन गै 
ता कोरेक्स के सीसी मिली एम्बुलेंस मा। । 
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डीजे हमरे लोक पर्ब कै बसनी छोरा थें। 
जैसे कुपंथी हमरे गर्व कै कछनी छोरा थें।। 
जब अलमारी बक्सा पंहुचा हमरे गाँव मा 
दादू पुरखन कै बाँधी अरगसनी छोरा थें।। 
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बुधवार, 2 अक्टूबर 2024

तुम खेती मा लाभ का धन्धा बतामय आ गया।

 य  विपत  के  घरी  मा  तुमहूं  भजामैं  आ  गया। 

तलवार फरगत के जघा  पायल मजामै आ गया। । 

अबहिंन एक किसान कै लहास  उची  ही 

तुम खेती मा लाभ का धन्धा बतामय आ गया।

 गीत ३ तरह के होते है। सुर के, असुर के, ससुर के 

सोमवार, 30 सितंबर 2024

मइहर जिला शारद नगरी।

   मैहर जिला 

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मइहर  जिला  शारद  नगरी। 

जेखर  कीरती  जग   बगरी।। 


पहिलय पूजा करै नित आल्हा।

रोज   चढ़ाबै   फूल औ माला ।। 

राम सखा जू का आश्रम पाबन। 

ओइला  गोलामठ  पबरित मन।।

गोपाल बाग  औ राम बाग मा। 

पहुंचै  वहै   है  जेखे  भाग  मा ।। 

हनुमत  कुंज भदन पुर  बाले।

हें  कैमोर  पहार   के     खाले। । 

श्री सिद्ध बाबा  मऊ  डोंगरी ।।

मइहर  जिला   शारद नगरी।


श्रद्धा  श्रम  संगीत   का   संगम । 

किहन अगस्तव  का स्वागत हम ।।

 भै  नहीं   झुकेही   केर   समीक्षा। 

जहां दिहिन अगस्त विंध्य का दीक्षा।।  

बाणासुर  का  हिअय  मनाउरा। 

गाँव  गाँव  मा  खेर  का चउरा ।।

चउकी  चटकउला  चपना के। 

हनुमत  कष्ट  हरैं  अपना   के।।

गाँव करसरा  कालका काली। 

दुर्गा    मइया   बछरा   बाली ।।

जहाँ भक्ती कै कलश बनै गगरी। 

मइहर  जिला   शारद   नगरी। । 


खजुरी ताल का मंदिर भइया। 

पोंड़ी धाम मा  होय समइया ।।

मुकुंदपुर का इतिहास पुरातन। 

 जहाँ जगन्नाथ  जू स्वयं सनातन।। 

हुअय  बना  है  शेर   सफारी। 

अपने  बिंध कै बना चिन्हारी।। 

पपरा मा   श्री  राम  दूत हैं । 

रामनगर मा  गिद्ध कूट हैं ।। 

मार्कण्डेय कै  आश्रमधानी। 

बाणभट्ट का  सुमिरै  बानी।।  

बाणसागर करै जहाँ पैपखरी।

मइहर जिला शारद नगरी।  

  हेमराज हंस भेड़ा 

शनिवार, 21 सितंबर 2024

मदन मोहन मिश्र ---बनारस

एक बार महामना मालवीय जी स्नान हेतु प्रयाग संगम पधारे वहां के पंडो में उनको नहवाने की होड़ लग गई। तभी मालवीय जी ने कहा की जिससे एकदम शुद्ध स्वस्ति वचन आता हो वही हमें स्नान के लिए ले चले ,तभी एक सयाने पण्डे ने कहा चलिए पंडित जी हम स्नान कराएँगे। वह मालवीय जी को संगम में ले जाकर गंगा जल ले कर  बोला ,सम्माननीय आप देश के श्रेष्ठतम विद्वान हैं। ये बताइये  इधर कौन है वे बोले गंगा उधर , यमुना  और सरस्वती ? वो विलुप्त हैं।  पांडा जी ने कहा जिस देश में सरस्वती विलुप्त हों वहां शुद्ध शुद्ध स्वस्ति  उच्चारण कौन कर सकता है --बकौल -मदन मोहन मिश्र वाराणसी  

शुक्रवार, 20 सितंबर 2024

पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। 

पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।। 

उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या 

हमरे  धरम के साथ जे अपराध   कइ  रहे  हें।। 

हेमराज हंस -भेड़ा मैहर 


 जेही पामय के निता,  रहंय  लालायित लोग। 

 कीन्हिन दूषित दुस्ट जन, बाला जी का भोग।।  


रविवार, 15 सितंबर 2024

KAVI SAMMELAN KARVI 14.09.2024


 हिंदी दिवस पर पावन धाम चित्रकूट के  पुरानी कोतवाली केसामने हुए कवि सम्मेलन में कवियों

ने हर रस की कविताएं सुनाकरलोगों का भरपूर मनोरंजन किया।इसका आयोजन योगेंद्र दत्त द्विवेदी

एजूकेशन सोसायटी, साहित्यसाधना ग्रुप एवं नगर पालिकापरिषद के संयुक्त तत्वावधान मेंकिया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत आचार्यब्रजेंद्र शास्त्री ने दीप प्रज्ज्वलनसे की। अध्यक्षता शायर अख्तरफ़राज़ ने की। संचालन डा. मनोजद्विवेदी, हबीब खान व छतरपुर केकवि सूरज पंडित ने किया। सतनाकी कवयित्री दीपा गौतम ने बेटियों

पर रचना पढ़, नीरांजना के पुष्प

सी होती हैं बेटियां, कोमलहृदय

करुणा सी होती हैं बेटियां। 

चरखारीके प्रदीप दिहुलिया ने व्यंग्य रचना,

चाहते हो जीवन को सफल बनाना

यदि, पत्नी की हां में हां मिलाते चले

जाइए, वह दिन को कहे जो रात,

दूध को कहे जो भात, सहमति में

शीश को हिलाते चले जाइए पढ़कर

वाहवाही बटोरी। 

सूरज पंडित ने पढ़ा, खुशियों का संसार तुम्हारे नाम

किया, जीवन भर का प्यार तुम्हारे

नाम किया।

 मैहर के कवि हेमराज हंस ने, 

फलाने कै भईंस बहुत

पल्हात ही, लागत है मिड डे मील कै

दरिया खात ही,  गभुआर चले गें पेट

 खलाये सरकारी योजना ठाड़े बिदुरात ही। 

पढ़कर व्यवस्थाओं पर करारी चोट

की। 

दिनेश दीक्षित संघर्षी ने, हिंद

देश का मान हूं मैं तो हिंदी भाषा

ठहरी हूं, क्यों बेबस लाचार खड़ी

मैं जंजीरों में जकड़ी हूं, से भाषा की

व्यथा को व्यक्त किया। 

श्रीनारायणतिवारी ने इंसानियत पर पंक्तियांपढ़ीं, जिनको प्यारे सभी इंसान नहींहोते हैं, वो तो हिंदू या मुसलमान

नहीं होते हैं। मेरे श्रीराम ही अल्ला भी तुम्हारे हैं, एक दुनिया में दोभगवान नहीं होते हैं। गज़लकारअख्तर फ़राज़ ने मंदाकिनी नदीकी अनदेखी पर व्यथा जताई, नदी

मंदाकिनी से वाकई ह पै ्यार तो दखे ो,हरी मोहन राय, संदीप श्रीवास्तवने भी रचनाएं पढ़ीं। समाजसेवीअभिमन्यु भाई ने मंदाकिनी कीअविरल धारा के लिए मार्मिक रचनासस्वर प्रस्तुत की। बांदा की रीनासिंह ने बेटियों और मां मंदाकिनीपर अपनी रचना पढ़कर भावविभोर

कर दिया। इस मौके पर सदर विधायक अनिल प्रधान, अधिवक्ता आलोक द्विवेदी, रामबाबू गुप्ता,रमेश चंद्र द्विवेदी, जगदीश गौतम, राजा करवरिया, ज्योति करवरिया, चित्रा द्विवेदी, सीमा शुक्ला, डा. एसपी त्रिपाठी, रामपाल त्रिपाठी,रामलाल द्विवेदी प्राणेश, राघव चित्रकूटी, राजेश जायसवाल, अर्चन द्विवेदी, आदि ने कवियों काउत्साहवर्धन किया। 


KAVI SAMMELAN KARVI


 

KAVI SAMMELAN KARVI 14.09.2024



 

बुधवार, 11 सितंबर 2024

unchehara kavi sammelan


 शानदार भा  कवि सम्मलेन, गरिमा पूर्ण उचहरा मा। 
मन भर खूब नहाइन श्रोता, कविता आंखर बहरा मा।। 

मुख्य अतिथि नागौद नरेश जू श्री महराज कुमार रहें । 
कार्य क्रम के सूत्रधार सिरि, अनिल सिंह परिहार रहें ।। 

संचालन रविशंकर जी ,जे हास्य व्यंग्य के महापौर  । 
बानी बन्दन शैलेन्द्र शैल के मधुर कंठ सुन सब बिभोर।। 

कवि तेजभान सतना बाले, महिपर अस बानी दिहिन घोर। 
मुक्तक कविता सुन श्रोतागण, पुन पुन गोहरामैं  बन्स मोर।। 

रवि हेमराज का ठाढ़ किहिन, जब बांध भूमिका खाका पुन ।
ता सभ्भ सभा बिदुराय लाग , औ खासा  लाग ठहाका पुन। ।

श्री   शैलेन्द्र   शैल  गाइन  , सुकबार   गीत    के   गीतकार। 
रिमझिम रिमझिम लागै मउसम जब झरैं लाग कविता फुहार।। 

अनिल अल्प जी  के मुक्तक, झकझोर दिहिन अंतस के तार। 
जब  समाज  के चाल  चलन  मा, शब्दन  से किन्हिन  प्रहार।। 

जब रमेश जाखी  जी का भा, हास्य  काव्य खटिया बाला।
ता बजी  जोरदार तारी  औ हंसय   लाग  कन्या    शाला।। 

हास्यावतार रविशंकर जी के हास्य व्यंग्य कै मिलै न थाह। 
सुन सुन उनखर  हास्य छन्द  सभा कह उची वाह वाह ।। 

स्वर्गीय  श्री  शैलेन्द्र  सिंह  उरदना ,  स्मृति का  काव्य  सार ।
उनखे सपूत अभिलाष सिंह, किन्हिन कवि श्रोतन का आभार। 

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...