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कइसन चलै गिरस्ती मामा।
उतर गै सगली मस्ती मामा। ।
परछांई जब बढ़ई लाग् ता
समुझा दिन कइ अस्ती मामा। ।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
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