दोहा
वर्दी हम दर्दी बनी पढ़ के जानयन बोर्ड।
खीसा मा ही इन्ट्री सड़क मा ओभर लोड। ।
बिन नेतन के होय न एकठेव लिग्धा काम।
धौ काहे तब देस मा नेता हें बदनाम। ।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
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