मुक्तक
आपन सहज बघेली आय।
अवधी केर सहेली आय। ।
विंध्य हबै ज्याखर अहिवात
ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। ।
२
उई शहीद का बताउथें कालरा मा मरा है।
उनखे शहादत मा का धरा है। ।
सामान मा भें आंधर ता उनही देखाथे
हेन चारिव कई ती हरा भरा है। । htpp;//baghelihemraj.blogspot.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें