मुक्तक
पुन के भाई सघरय लाग्या। htpp;//baghelihemraj.blogspot.com
दबी मुदी मा उघरय लाग्या। ।
छी द परी ता बधे रह्या
उड़िला भा ता बगरय लाग्या। ।
हेमराज त्रिपाठी
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
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