मुक्तक
पुन के भाई सघरय लाग्या। htpp;//baghelihemraj.blogspot.com
दबी मुदी मा उघरय लाग्या। ।
छी द परी ता बधे रह्या
उड़िला भा ता बगरय लाग्या। ।
हेमराज त्रिपाठी
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें