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शुक्रवार, 24 जुलाई 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --957528...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --957528...: मुक्तक दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें। हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। । जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें...
ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --9575287490
मुक्तक
दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें।
हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। ।
जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली
ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। ।
हेमराज हंस --9575287490
गुरुवार, 23 जुलाई 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।: बघेली गजल ठोंका तुहू सलामी भाई। भले देखा थी खामी भाई। । केत्तव मूसर जबर होय पै वमै लगा थी सामी भाई। । सत्तर साल के लोक तंत्...
पै न कह्या हरामी भाई। ।
बघेली गजल
ठोंका तुहू सलामी भाई।
भले देखा थी खामी भाई। ।
केत्तव मूसर जबर होय पै
वमै लगा थी सामी भाई। ।
सत्तर साल के लोक तंत्र का
ग्यारै लाग बेरामी भाई। ।
एक कइ पचके हें गलुआ
औ एक कइ ललामी भाई। ।
पता नही धौ घुसे हें केत्ते
बड़ी जबर ही वामी भाई। ।
केखर केखर मुँह सी देहा
सबतर ही बदलामी भाई। ।
भले खा थें उई हराम का
पै न कह्या हरामी भाई। ।
'हंस 'करय अनरीत अम्मलक
भरा हुंकारी हामी भाई। ।
हेमराज हंस --9575287490
बुधवार, 22 जुलाई 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज...: BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क... : दोहा बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र। गं...
चपके रहा जोंक अस।
चपके रहा जोंक अस।
कायर डरपोक अस। ।
कलिंग के शोक मा
लगत्या है अशोक अस। ।
हेमराज हंस
मंगलवार, 21 जुलाई 2015
bagheli kavitaहमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा।
मुक्तक
हमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा।
जनता का नफरत का तमाचा न देखाबा। ।
य देस देखे बइठ है महाभारत के युयुत्स का
अपने वफादारी का साँचा न देखबा। ।
हेमराज हंस ---9575287490
मंगलवार, 14 जुलाई 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क...: दोहा बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र। गंधइलन के कान मा खोंसा फूहा इत्र । । हेमराज हंस 9575287490
बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।
दोहा
बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।
गंधइलन के कान मा खोंसा फूहा इत्र । ।
हेमराज हंस 9575287490
रविवार, 5 जुलाई 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।: मुक्तक वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है। कला देखिये फ़टे छाते में ऊन सीते हैं.।। समाज में उनका हीं दबदबा है जो वैभव से भरे हैं...
hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।
मुक्तक
वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।
कला देखिये फ़टे छाते में ऊन सीते हैं.।।
समाज में उनका हीं दबदबा है
जो वैभव से भरे हैं संवेदना से रीते हैं। ।
हेमराज हंस --9575287490
गुरुवार, 2 जुलाई 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI KAVITA दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI KAVITA दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। ।: मुक्तक --------------------- वाह रे राजनीत का खेल। दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। । सदाचार मा गारी गुझुआ भ्रष्टाचार मा सरस...
BAGHELI KAVITA दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। ।
मुक्तक
---------------------
वाह रे राजनीत का खेल।
दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। ।
सदाचार मा गारी गुझुआ
भ्रष्टाचार मा सरस मेल। ।
हेमराज हंस -9575287490
बुधवार, 1 जुलाई 2015
सोमवार, 29 जून 2015
तुलसी के बगिया मा नकटी कहां से आय गै।
मुक्तक
तुलसी के बगिया मा नकटी कहां से आय गै।
यतना पचामै कै शक्ती कहाँ से आय गै । ।
गोकरन के सभा मा धुंधकारी कै धाक ही
सत्ता के व्याकरण मा विभक्ति कहाँ से आय गै। ।
हेमराज हंस ----9575287490
नकटी--एक तरह की झाड़ी
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