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रविवार, 5 अप्रैल 2015

शनीचर का पता अढ़ैया से पूछत्या है।

मुक्तक 

शांति का पाठ लड़इया से पूछत्या है। 
शनीचर का पता अढ़ैया से पूछत्या है। । 
भोपाल से चला औ चौपाल मा हेराय गा 
विकास का पता मड़ैया से पूछत्या है।।
   हेमराज हंस  

शनिवार, 4 अप्रैल 2015

मुक्तक 

चउआन हेमै ''जगनिक '' के आल्हा। 
दंगा मा पकड़ गें सय्यद ताला। । 
अब नम्बर रसखान का है 
देस भक्त से पर गा पाला। । 
      हेमराज हंस 

घर बरिगा ता बरिगा हम दमकल ता देख्यन।।

मुक्तक 

पिआसा   परा   हम  हेन  नल  का देख्यन।
ऊसर   मा  बाइत  करत  हल का देख्यन। । 
आगी    लगाय   के   अब  कहा   थें   फलाने 
घर बरिगा ता बरिगा हम दमकल ता देख्यन।।     
                     हेमराज हंस 

जे आँधर बरदा बेँच दिहिन काजर आंज के। ।

मुक्तक 

''नल तरंग''बजाउ थें बजबइया झांझ के। 
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। । 
उनही   ईमानदार   कै उपाधि   दीन   गै  
जे आँधर बरदा बेँच दिहिन काजर आंज के। । 
                            हेमराज हंस 

सोमवार, 30 मार्च 2015

पता चला तार मा कटिआ फसाउथें। ।

मुक्तक 

उई अच्छे दिन का घटिआ बताउथें। 
बुलन्द दरबाजा का टटिआ बताउथें। । 
जे बात करत रहें हैलोजन के अजोर कै ,
पता चला तार मा कटिआ फसाउथें। । 
                                हेमराज हंस 

गुरुवार, 26 मार्च 2015

गाँव गाँव मा जबा देबारे

गाँव गाँव मा जबा देबारे 

गाँव -गाँव मा जबा देबारे पंडा दे थें हूम। 
लोक धरम कै चैत मा चारिव कईतीधूम। । 

आठैं   अठमाइन   चढ़ै  खेर  खूंट  का   भोग। 
जलसा का कलसा धरे ''राम जनम का जोग ''। ।  

बाना खप्पड़ कालका जबा देवारे हांक। 
बिन प्रचार के चल रही लोक धर्म कै धाक। । 

                                       हेमराज हंस 

भारत रत्न अटल जी

भारत रत्न अटल  जी 

हे'' भारत रत्न'' भया सम्मानित पाके अटल बिहारी का। 
जुग गायी तोहार गुन गाथा हाथे धरे चिन्हारी का। । 
लोकतंत्र का मंदिर तक अपने मूरत से कहय लाग ,
देखा अपने अंतस का पुन देखा अटलबिहारी का। । 

                                               हेमराज हंस  

बुधवार, 25 मार्च 2015

बघेली मुक्तक 

सत्ता कबहू गभुआर नही होय। 
जइसा पूर सत्त अख़बार नही होय। । 
सरमन सब दिन मारे गे हें शब्द 

BAGHELI POEM

मुक्तक 

उनखे गम्मदारी मा गरमी कहाँ से आय गै। 
सभ्भ घराना मा बेसरमी कहाँ से आय गै। । 
कमल   के   तलबा  मा  बेसरम  के  फूल ,
कड़क मिजाजी मा नरमी कहाँ से आय गै। । 
                      
                                    हेमराज 

मंगलवार, 24 मार्च 2015

नंगई से नही बड़प्पन से नापा।

बघेली मुक्तक 

नंगई     से     नही    बड़प्पन      से      नापा। 
तुंहु      अपने    सीना   का छप्पन से नापा। । 
देस    देखे  बइठ  है  ''नहुष ''   के अच्छे दिन 
पै वाखर या अर्थ नही तुम बाल्मीक का वीरप्पन से नापा। । 
                                             
                                              हेमराज 

वा पुरखन कै थाती ,धन्नासेठ का कउरा न होय। ।

बघेली मुक्तक 

भुँइ   हमार  मंदिर आय  , भूत का चउरा न होय। 
वा पुरखन कै थाती  ,धन्नासेठ का कउरा न होय। । 
किसानन    का   धरती   माता   से  कम    नही, 
लीलारे का चन्दन आय देंह का खउरा न होय। ।  

                                             हेमराज 

मंगलवार, 17 मार्च 2015

हाय !!दइव !या का किहा कहि के गिरा किसान। ।

दोहा 

पाथर  परिगा   फसल मा   अब  भा मरे बिहान। 
हाय !!दइव !या का किहा कहि के गिरा किसान। ।

करहा  आमा  नीझरि  गा  ठूठ  ठाढ़  मउहार। 
चौपट होइ गै फसल सब अइसा मारिस वार। ।   

टप टप अँसुआ बहि रहें खेतिहर परा सिकिस्त। 
खाद बीज का ऋण चढ़ा औ टेक्टर कै क़िस्त। । 


हेमराज 

रविवार, 15 मार्च 2015

गुरुवार, 12 मार्च 2015

बघेली क्षणिका

 बघेली क्षणिका 

सत्ता साहित्य से सब दिन  अकड़ा रहा है। 
एहिन से  उनखर  छत्तीस का आकड़ा रहा है.। । 

हेमराज  


बड़े ललत्ता हया फलाने।

मुक्तक 

बड़े ललत्ता हया फलाने। 
तास के पत्ता हया फलाने। । 
हम तोहइ साहित्य मान्यन तै 
पै तुम सत्ता हया फलाने। । 

हेमराज   

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...