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सोमवार, 13 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमही जना थै वा नशा मा है। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमही जना थै वा नशा मा है। ।: मुक्तक फलाने कहा थें निकही दशा मा है। हमही जना थै वा नशा मा है। । हेन पीरा के फसल कै लगान लागा थी किसानन से पूँछा केतू ...
हमही जना थै वा नशा मा है। ।
मुक्तक
फलाने कहा थें निकही दशा मा है।
हमही जना थै वा नशा मा है। ।
हेन पीरा के फसल कै लगान लागा थी
किसानन से पूँछा केतू दुर्दशा मा है। ।
हेमराज हंस -------9575287490
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।: बारजा बचा है बारजा बचा है ओरिया कहाँ ही। चंदा मामा दूध कै खोरिया कहाँ ही। । राशन कार्ड हलाबत चली ...
वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।
बारजा बचा है
बारजा बचा है ओरिया कहाँ ही।
चंदा मामा दूध कै खोरिया कहाँ ही। ।
राशन कार्ड हलाबत चली गै तिजिया
कोटा बाली चीनी कै बोरिया कहाँ ही। ।
नोकरी लगबामैं का कहि के लई गया तै
वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।
सार अबाही ग्यरमा खूटा औ अम्मा का पहिला सुर
कामधेनु कै पामर वा कलोरिया कहाँ ही। ।
बे पनही उतारे मुड़हर तक चला गा
गाॅव के अदब कै ओसरिया कहाँ ही। ।
अश्व मेघ जग्ग कै भभूत परी ही
''लिंकन ''के लोकतंत्र कै अजोरिया कहाँ ही। ।
हेमराज हंस - 9575287490
रविवार, 12 अप्रैल 2015
लगा थै एहिन से फलाने उघार है। ।
मुक्तक
उई कहा थें व्यबस्था मा सुधार है।
लगा थै एहिन से फलाने उघार है। ।
नाक मा रुमाल धरे बाटा थें मावजा
जनता के ऊपर उनखर उपकार है। ।
हेमराज हंस -9575287490
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।: मुक्तक हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै। पता नही तन मा धौ कउन रोग रहा थै। । तन से हें '' बुद्ध '' मन से ...
हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।
मुक्तक
हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।
पता नही तन मा धौ कउन रोग रहा थै। ।
तन से हें '' बुद्ध '' मन से बहेलिया
पंछी अस पीरा या लोकतंत्र सहा थै। ।
हेमराज हंस 9575287490
शनिवार, 11 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।: मुक्तक भईस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे। लिपिस्टिक लगामै का ओठ ख़रीदा थे। । दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा उई एकठे '&#...
उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।
मुक्तक
भईस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे।
लिपिस्टिक लगामै का ओठ ख़रीदा थे। ।
दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा
उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 9 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही गुजरात का गरबा जनाथै। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही गुजरात का गरबा जनाथै। ।: बघेली मुक्तक "फूल " हमही जरबा जनाथै। बिन जंगला केर अरबा जनाथै। । कश्मीर मा आतंकी खून कै होरी खेला थें उ...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।: मुक्तक तुमहूँ अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या। पुन भाई चारा काटें बाली आरी देख ल्या। । नीक काम करिहा ता वा खून मा रही '&#...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।: मुक्तक काल्ह बतामै गंगा भटट। मचा साँझ के लठ्ठम लठ्ठ। । हम होन गयन करय समझौता हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। । हेमराज हंस
हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।
मुक्तक
काल्ह बतामै गंगा भटट।
मचा साँझ के लठ्ठम लठ्ठ। ।
हम होन गयन करय समझौता
हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।
हेमराज हंस
बुधवार, 8 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।: मुक्तक तुमहूँ अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या। पुन भाई चारा काटें बाली आरी देख ल्या। । नीक काम करिहा ता वा खून मा रही '&#...
जइसा भूखा कथा सुनै औ चित्त धरा परसादी मा। ।
मुक्तक
जनता देख रही ही नाटक राजनीत के खादी मा ।
नही जना तै एकव आतर जुर्मी औ फरियादी मा।।
उनखर धरना अउर प्रदर्शन देख के अइसा लागा थै
जइसा भूखा कथा सुनै औ चित्त धरा परसादी मा। ।
हेमराज हंस
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