दोहा
राजनीत धंधा बनी अख़बार बना उद्योग।
हमरे भारत देस का कइसन हबई कुजोग। ।
हेमराज त्रिपाठी htpp;//baghelihemrajblogspot.com
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्ति बिटिया माँ बनी, हरी भरी हुई गोद। परिजन हैं उल्लास में, सबके मन में मोद।। आशा दसमी शुभ तिथि, सुदी का स्वाति नक्षत्र। दो हज्जार ब...
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